गया में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सात कुलों के पितरों के मोक्ष के लिए किया पिंडदान
गया। पितृपक्ष के अवसर पर देशभर से श्रद्धालु मोक्ष भूमि गया पहुंचते हैं, और इस बार इस पावन समय में देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी गईं। शुक्रवार को राष्ट्रपति ने अपने पति-पिता समेत सात कुलों के पितरों के मोक्ष की कामना करते हुए पिंडदान का धार्मिक अनुष्ठान विधिपूर्वक संपन्न किया। इस अवसर पर उनके साथ गयापाल पंडा मुन्नीलाल कटरियार, राजेश कटरियार और अन्य पंड भी उपस्थित थे।
राष्ट्रपति ने फल्गु, अक्षयवट और विष्णुपद तीर्थ का विशेष महत्व समझते हुए पिंडदान किया। उन्होंने गयापाल पंडा के मार्गदर्शन में करीब डेढ़ घंटे तक विभिन्न वेदियों, तीर्थ स्थलों और धार्मिक रीति-रिवाजों की जानकारी प्राप्त की। पिंडदान के दौरान उन्होंने अपने पितरों के लिए विशेष मंत्रों का जाप किया और उनके मोक्ष की कामना की।
पिंडदान के बाद राष्ट्रपति ने विष्णुपद गर्भ गृह में पहुंचकर भगवान विष्णु के अलौकिक चरण चिन्ह का दर्शन किया और श्रद्धापूर्वक मत्था टेका। इसके साथ ही उन्होंने गयासुर का स्थान देखा और भगवान विष्णु के चरण चिन्ह और लक्ष्मी माता की प्रतिमा का दर्शन कर अपनी भक्ति भाव को व्यक्त किया। इस दौरान उन्होंने पंडों से विभिन्न धार्मिक ग्रंथों और पितृकर्म के महत्व के बारे में भी जानकारी ली।
राष्ट्रपति के पिंडदान और दर्शन से उपस्थित श्रद्धालु अत्यंत प्रभावित हुए। गयापाल पंडा राजेश कटरियार ने बताया कि राष्ट्रपति ने अपने सात कुलों के पितरों के लिए विधिपूर्वक पिंडदान किया और सभी धार्मिक क्रियाओं का पालन करते हुए अपने नाम को पंडा के बही खाते में भी दर्ज कराया।
इस पावन अवसर पर राष्ट्रपति द्वारा संपन्न किए गए अनुष्ठान ने गया में पितृपक्ष की महत्ता को और अधिक उजागर किया। यह धार्मिक क्रिया न केवल पितरों के मोक्ष के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों से जोड़ने का संदेश देती है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का यह पिंडदान श्रद्धालुओं के लिए एक प्रेरणा बन गया और गया के पौराणिक तीर्थस्थलों की पवित्रता को दर्शाने वाला एक महत्वपूर्ण धार्मिक क्षण सिद्ध हुआ।
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