लोक गायिका शारदा सिन्हा की तबीयत नाजुक, दिल्ली AIIMS में ICU में भर्ती

लोक गायिका शारदा सिन्हा की तबीयत नाजुक, दिल्ली AIIMS में ICU में भर्ती

दिल्ली। लोक संगीत की प्रसिद्ध गायिका और पद्मभूषण सम्मानित शारदा सिन्हा की हालत गंभीर बनी हुई है। उन्हें पिछले एक हफ्ते से दिल्ली के AIIMS में भर्ती किया गया है। उनके बेटे अंशुमन सिन्हा के अनुसार, उनकी तबीयत में कोई खास सुधार नहीं हो रहा है, और उन्हें खाने-पीने में भी कठिनाई हो रही है। बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने उनके बेटे से संपर्क कर बेहतर इलाज के लिए राज्य और केंद्र सरकार की ओर से हरसंभव मदद का भरोसा दिया है।

छठ गीतों से मिली विशेष पहचान

सुपौल जिले के हुलसा गांव में जन्मी शारदा सिन्हा को छठ गीतों के लिए विशेष रूप से जाना जाता है। 1978 में उन्होंने अपना पहला छठ गीत 'उगो हो सूरज देव भइल अरघ केर बेर' रिकॉर्ड किया, जो बेहद लोकप्रिय हुआ और उन्हें लोक गायन में खास पहचान मिली। इसके बाद उन्होंने राजश्री प्रोडक्शन की सुपरहिट फिल्मों 'हम आपके हैं कौन' और 'मैंने प्यार किया' के लिए भी गाने गाए, जिनमें 'बाबुल जो तुमने सिखाया...' और 'कहे तोहसे सजना...' जैसे गीत शामिल हैं।

सपनों को साकार करने में परिवार का मिला समर्थन

शारदा सिन्हा के पिता, जो बिहार सरकार के शिक्षा विभाग में अधिकारी थे, ने उनके गायन के शौक को आगे बढ़ाने में पूरा समर्थन दिया। शादी के बाद ससुराल में भी उन्हें पति का सहयोग मिला, जिससे वे अपनी गायिकी को निखारने में सफल रहीं। उनके भाई की शादी में गाए एक गीत से गायन के सफर की शुरुआत हुई, जिसे लोगों ने बहुत पसंद किया। उनकी आवाज और भावनाओं से भरे लोकगीत बिहार और पूरे देश में पसंद किए जाते हैं।

संगीत यात्रा में मजबूती और कठिनाइयों का सामना

शारदा सिन्हा का संगीत का सफर भले ही चुनौतियों से भरा रहा हो, लेकिन उनकी आवाज और लोक संगीत के प्रति उनकी असीम निष्ठा ने उन्हें लोक गायन में एक विशेष पहचान दिलाई। आज वे लोकगीतों की एक प्रमुख हस्ती हैं और देशभर में लोक संगीत की पहचान हैं। उनके स्वास्थ्य में सुधार के लिए प्रशंसक और संगीत प्रेमी प्रार्थना कर रहे हैं।

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BIHAR - JHARKHAND

 मैं पिछले 7 वर्षों से बिहार और झारखंड में पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्यरत हूँ। इस दौरान, मैंने पत्रकारिता के हर पहलू को गहराई से समझा है और इस क्षेत्र में अपनी विशेष पहचान बनाई है। बिहार और झारखंड की सामाजिक, सांस्कृतिक, और राजनीतिक घटनाओं पर गहरी नजर रखते हुए, मैंने इन दोनों राज्यों के विभिन्न मुद्दों को उजागर करने और लोगों तक सही और प्रामाणिक जानकारी पहुँचाने का प्रयास किया है।पत्रकारिता के इस सफर में, मैंने कई चुनौतियों का सामना किया है, लेकिन हर बार मैंने उन्हें एक अवसर के रूप में लिया और अपने कार्य को न केवल एक जिम्मेदारी बल्कि एक सेवा के रूप में निभाया है। मेरा लक्ष्य हमेशा से ही यही रहा है कि जनता को सत्य और निष्पक्ष खबरें प्रदान की जाएं, ताकि वे जागरूक और सूचित रहें। मैंने इस दौरान कई महत्वपूर्ण घटनाओं को कवर किया है, और अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में एक सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश की है। 

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