ग्रामीण समृद्धि का आधार बनेगा बहुउद्देशीय पैक्स: सहकारिता मंत्री डॉ. प्रेम कुमार
पटना। बिहार सरकार के सहकारिता मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने कहा है कि राज्य का सर्वांगीण विकास मजबूत सहकारी ढांचे के बिना संभव नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि आज सहकारी आंदोलन केवल पारंपरिक कृषि तक सीमित नहीं, बल्कि पशुपालन, मत्स्य, डेयरी, सब्जी उत्पादन और शहद प्रसंस्करण जैसे क्षेत्रों में भी नई जान फूंक रहा है। एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ. कुमार ने कहा कि राज्य सरकार “समृद्ध सहकारिता, समृद्ध पैक्स” के सिद्धांत पर कार्य कर रही है। इसके अंतर्गत प्राथमिक कृषि साख समितियों (पैक्स) को बहुउद्देशीय संस्थानों के रूप में विकसित किया जा रहा है। ये पैक्स अब केवल कृषि ऋण या बीज-खाद वितरण तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि ग्रामीण भारत के लिए वन स्टॉप शॉप की भूमिका निभाएंगे। डॉ. कुमार ने बताया कि विकसित हो रहे बहुउद्देशीय पैक्स केंद्रों पर ग्रामीणों को अब एक ही छत के नीचे बैंकिंग, खाद-बीज वितरण, जन औषधि केंद्र, ई-गवर्नेंस सेवाएं, यहां तक कि पेट्रोल-डीजल आउटलेट जैसी सुविधाएं भी मिलेंगी। इससे ग्रामीण जनता की समय और लागत दोनों की बचत होगी और सेवाएं उनकी दहलीज़ तक पहुंचेंगी।
मंत्री ने कहा कि ये बहुउद्देशीय पैक्स किसानों के साथ-साथ मछुआरों, पशुपालकों, सब्जी उत्पादकों और मधुमक्खी पालकों के लिए भी आय के नए द्वार खोल रहे हैं। सब्जी उत्पादकों को अब ‘वेजफेड’ के माध्यम से सुव्यवस्थित विपणन प्रणाली मिल रही है, वहीं राज्य सरकार द्वारा गठित शहद प्रसंस्करण एवं विपणन फेडरेशन मधु उत्पादन में क्रांतिकारी परिवर्तन ला रहा है। डॉ. प्रेम कुमार ने बताया कि राज्य में सहकारी बैंकों का तेजी से डिजिटलीकरण हो रहा है। कोर बैंकिंग से लेकर इंटरनेट बैंकिंग, गोल्ड लोन जैसी आधुनिक सुविधाएं अब सहकारी नेटवर्क के माध्यम से भी ग्रामीण जनता को मिल रही हैं। इससे वित्तीय समावेशन को नई गति मिल रही है।
उन्होंने यह भी बताया कि दुग्ध सहकारी समितियों के माध्यम से गांवों में रोजगार में भारी वृद्धि हुई है। अब बिहार का दूध, लस्सी, मिठाई और आइसक्रीम देश के कोने-कोने तक पहुंच रही है। इससे न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल मिला है, बल्कि बिहार ब्रांड की विश्वसनीयता भी मजबूत हुई है। सहकारिता मंत्री ने अंत में कहा कि "बहुउद्देशीय पैक्स आने वाले समय में ग्रामीण विकास का मॉडल बनेंगे। ये केवल आर्थिक संस्थान नहीं, बल्कि गांवों के सामाजिक और आर्थिक पुनरुत्थान का केंद्र बनेंगे। यहां से न केवल वित्तीय गतिविधियों का संचालन होगा, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की नींव भी सुदृढ़ होगी।
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