जस्टिस सूर्यकांत ने ली शपथ, बने देश के 53वें मुख्य न्यायाधीश

जस्टिस सूर्यकांत ने ली शपथ, बने देश के 53वें मुख्य न्यायाधीश

नई दिल्ली। देश के सर्वोच्च न्यायालय में सोमवार का दिन ऐतिहासिक रहा। जस्टिस सूर्यकांत ने भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ ग्रहण की। राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में आयोजित भव्य समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। समारोह के साक्षी बने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल सहित न्यायपालिका और कार्यपालिका के कई वरिष्ठ पदाधिकारी मौजूद रहे।

जस्टिस सूर्यकांत निवर्तमान CJI भूषण आर. गवई के उत्तराधिकारी बने हैं, जो 65 वर्ष की आयु पूर्ण करने के बाद सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं। संविधान के अनुच्छेद 124(2) के तहत वरिष्ठता के आधार पर CJI गवई ने जस्टिस सूर्यकांत के नाम की अनुशंसा की थी, जिस पर राष्ट्रपति ने मुहर लगाई और औपचारिक नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी हुई। नए CJI के रूप में उनका कार्यकाल 30 अक्टूबर 2025 से 9 फरवरी 2027 तक रहेगा।

जस्टिस सूर्यकांत न्यायिक इतिहास में अपने मजबूत और निर्णायक फैसलों के लिए जाने जाते हैं। वे अनुच्छेद 370 हटाने के मामले, बिहार में SIR सुनवाई, तथा चुनाव आयोग को SIR के दौरान हटाए गए 65 लाख मतदाताओं की सूची जारी करने का निर्देश देने वाले अहम फैसलों की पीठ में शामिल रह चुके हैं। संवैधानिक अधिकारों की सुरक्षा, लोकतांत्रिक मूल्यों और सामाजिक न्याय के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने उन्हें जनता और विधि विशेषज्ञों के बीच उल्लेखनीय स्थान दिलाया है।

10 फरवरी 1962 को हरियाणा के हिसार में जन्मे जस्टिस सूर्यकांत कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के छात्र रहे और बाद में न्यायिक सेवा में प्रवेश किया। वे हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में भी सेवाएँ दे चुके हैं। गौर करने वाली बात यह है कि वे हरियाणा से आने वाले पहले मुख्य न्यायाधीश बने हैं।

नई जिम्मेदारी के साथ न्यायपालिका में सुधार की उम्मीदें और भी मजबूत हो गई हैं। कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि जस्टिस सूर्यकांत लंबित मामलों के शीघ्र निपटारे, तकनीक आधारित न्यायिक प्रणाली, और न्याय तक आम जनता की आसान पहुँच जैसे क्षेत्रों में बड़े व निर्णायक कदम उठा सकते हैं।

शपथ ग्रहण के साथ ही भारत की न्यायपालिका एक नए नेतृत्व के दौर में प्रवेश कर चुकी है और देश की नज़रें अब 15 महीनों के उनके कार्यकाल में होने वाले बदलावों की ओर टिकी हुई हैं।

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