अब सेवातीर्थ के नाम से जाना जाएगा प्रधानमंत्री कार्यालय,सत्ता नहीं सेवा की भावना पर जोर
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के नाम और पहचान को नई दिशा देते हुए इसे अब ‘सेवा तीर्थ’ के नाम से स्थापित करने का फैसला लिया है। प्रधानमंत्री कार्यालय जल्द ही नई निर्मित कॉम्प्लेक्स में शिफ्ट होगा, जिसका नाम सेवा तीर्थ रखा गया है। यह भवन सेंट्रल विस्टा रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट के तहत पहले ‘एग्जीक्यूटिव एन्क्लेव’ के नाम से जाना जाता था, जो अब अपने नए नाम और नई सोच के साथ देश के प्रशासनिक ढांचे का महत्वपूर्ण केंद्र बनेगा।
PMO के साथ-साथ इसी परिसर में कैबिनेट सचिवालय, नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल सचिवालय और इंडिया हाउस के दफ्तर भी स्थापित किए जाएंगे। इंडिया हाउस को भविष्य में आने वाले वैश्विक नेताओं व उच्च स्तरीय बातचीत के प्रमुख स्थान के रूप में विकसित किया जा रहा है। अधिकारियों के मुताबिक सेवा तीर्थ को ऐसा वर्कप्लेस बनाया गया है, जहां राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को आकार देने के साथ सेवा की भावना को शासन की मूल आत्मा बनाकर रखा जाएगा। उनका कहना है कि भारत के सार्वजनिक संस्थानों की पहचान में शांत लेकिन गहरा परिवर्तन चल रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में उपनिवेशकालीन शाही छवि से जुड़े सरकारी स्थलों और नामों को बदलने की नीति लगातार आगे बढ़ती रही है। कुछ दिन पहले राजभवनों का नाम बदलकर लोकभवन किया गया था। यह बदलाव महज़ नाम परिवर्तन नहीं बल्कि शासन को सेवा, कर्तव्य और जवाबदेही की दिशा में पुनर्परिभाषित करने की व्यापक पहल का हिस्सा माना जा रहा है।
इस प्रक्रिया की शुरुआत वर्ष 2016 में हुई थी, जब प्रधानमंत्री आवास ‘7 रेस कोर्स रोड’ का नाम बदलकर ‘7 लोक कल्याण मार्ग’ किया गया। इसके बाद 2022 में राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ किया गया। अब प्रशासनिक केंद्र में केंद्र सरकार का मुख्यालय ‘सेंट्रल सेक्रेटेरिएट’ नहीं, बल्कि ‘कर्तव्य भवन’ के रूप में स्थापित हो चुका है।
सरकार के मुताबिक ये परिवर्तन केवल प्रतीकात्मक नहीं हैं, बल्कि यह स्पष्ट संदेश देते हैं कि शासन का चेहरा सत्ता और अधिकार के प्रदर्शन से हटकर सेवा, कर्तव्य और पारदर्शिता की ओर आगे बढ़ चुका है — वही सोच अब ‘सेवा तीर्थ’ के रूप में मूर्त रूप ले रही है।
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