झारखंड: शराब घोटाले की जांच तेज, ईओडब्ल्यू ने दो अधिकारियों से पूछताछ की मांगी अनुमति
झारखंड। में कथित शराब घोटाले को लेकर जांच की रफ्तार तेज हो गई है। आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू), रायपुर ने झारखंड सरकार से तत्कालीन उत्पाद सचिव विनय चौबे और संयुक्त उत्पाद आयुक्त गजेंद्र सिंह से पूछताछ की अनुमति मांगी है।यह मामला रायपुर की आर्थिक अपराध शाखा में दर्ज हुआ था, जिसमें छत्तीसगढ़ के अधिकारियों के साथ झारखंड के आईएएस अधिकारी विनय चौबे को भी आरोपी बनाया गया है। अरगोड़ा निवासी विकास सिंह की शिकायत पर दर्ज एफआईआर के अनुसार, झारखंड और छत्तीसगढ़ के अधिकारियों ने मिलकर एक सिंडिकेट के जरिए शराब घोटाला किया, जिससे राज्य सरकार को अरबों रुपए का राजस्व नुकसान हुआ।एफआईआर। के मुताबिक, दिसंबर 2022 में झारखंड की शराब नीति में बदलाव किया गया था। रायपुर में कारोबारी अनवर ढेबर के ठिकाने पर हुई बैठक में एपी त्रिपाठी, अनिल टुटेजा, अरविंद सिंह और झारखंड के उत्पाद अधिकारी शामिल हुए थे। आरोप है कि नीति में बदलाव सुमीत कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया, जो पहले से ही छत्तीसगढ़ में शराब ठेके का काम कर रही थी।
ईडी पहले ही कर चुकी है पूछताछअप्रैल। 2023 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने रायपुर कार्यालय में आईएएस विनय चौबे और के सत्यार्थी के बयान दर्ज किए थे। ईडी की जांच में खुलासा हुआ कि छत्तीसगढ़ की भूपेशसरकार के कार्यकाल में सरकारी दुकानों से नकली होलोग्राम लगाकर शराब बेची गई।इसके। लिए प्रिज्म होलोग्राम एंड फिल्म सिक्योरिटी लिमिटेड को शराब की बोतलों पर होलोग्राम छापने का काम सौंपा गया था, जबकि मेसर्स सुमीत फैसिलिटीज लिमिटेड को मैनपावर सप्लाई की जिम्मेदारी दी गई थी। ये दोनों कंपनियां छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में भी आरोपी हैं और झारखंड में भी इन्हें ठेके दिए गए थे।इधर, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने झारखंड सरकार से पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के खिलाफ अभियोजन स्वीकृतिमांगी है। मनी लॉन्ड्रिंग केस में ईडी ने आलमगीर को15 मई 2024 को गिरफ्तार किया था और तब से वे जेल में हैं।ईडी की जांच में सामने आया कि ग्रामीण विकास विभाग के तत्कालीन चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम के जरिये विकास योजनाओं में बड़े पैमाने पर कमीशन लिया जाता था, जिसमें आलमगीर आलम समेत कई अन्य लोग शामिल थे।
छापेमारी में बरामद हुए करोड़ों रुपए6 मई। 2024 को आलमगीर आलम के आप्त सचिव संजीव लाल, उनके नौकर जहांगीर आलम, बिल्डर मुन्ना सिंह, इंजीनियर कुलदीप मिंज और विकास कुमार के नौ ठिकानों पर छापेमारी हुई थी।इस दौरान कुल 35.23 करोड़ रुपए नकद बरामद किए गए। इसमें से 31.20 करोड़ रुपए जहांगीर आलम के हरमू रोड स्थित फ्लैट से मिले थे। इसके बाद 15 मई को ईडी नेपूछताछके लिए आलमगीर आलम को बुलाया और फिर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।अब ईओडब्ल्यू द्वारा झारखंड के अधिकारियों से पूछताछ की अनुमति मांगे जाने के बाद इस घोटाले में नए खुलासे होने की संभावना है। वहीं, ईडी की कार्रवाई भी लगातार जारी है और आने वाले दिनों में इस घोटाले में शामिल अन्य लोगों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई हो सकती है
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