झारखंड: हाईकोर्ट ने 4 महीने में निकाय चुनाव कराने का दिया आदेश
रांची। झारखंड में लंबे समय से लंबित नगर निकाय चुनावों को लेकर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को चार महीने के भीतर चुनाव कराने का आदेश दिया है। डेढ़ साल से अटके इन चुनावों पर अदालत में सुनवाई के दौरान मुख्य सचिव और नगर विकास सचिव उपस्थित रहे। हालांकि, अदालत ने मुख्य सचिव को अगली सुनवाई में सशरीर उपस्थित रहने से राहत दी है।
तीन हफ्ते में अधिसूचना जारी करने का आदेश था
पूर्व पार्षद रोशनी खलखो और अरुण झा की याचिका पर जनवरी 2024 में अदालत ने सरकार को तीन हफ्तों में अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया था। लेकिन यह आदेश अब तक लागू नहीं हो सका है। झारखंड के 34 नगर निकायों में चुनाव लंबित हैं, जिनमें से 14 का कार्यकाल मई 2020 में ही समाप्त हो गया था।
सरकार का तर्क: ट्रिपल टेस्ट और वोटर लिस्ट में देरी
राज्य सरकार ने अदालत को बताया कि पिछड़े वर्गों (ओबीसी) को आरक्षण देने के लिए जिला स्तर पर ट्रिपल टेस्ट प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है। केवल कुछ जिलों में यह प्रक्रिया शेष है, जिसे जल्द पूरा किया जाएगा। इसके अलावा, निर्वाचन आयोग से वोटर लिस्ट प्राप्त करने में देरी हुई है।
प्रार्थी का आरोप: सरकार चुनाव कराने में टाल-मटोल कर रही है
प्रार्थी रोशनी खलखो ने अदालत में कहा कि बिना ट्रिपल टेस्ट प्रक्रिया पूरी किए भी निकाय चुनाव कराए जा सकते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की मंशा चुनाव कराने की नहीं है और यह केवल बहानेबाजी कर रही है।
चुनाव क्यों नहीं हो सके?
झारखंड सरकार ने ओबीसी आरक्षण सुनिश्चित करने के लिए ओबीसी आयोग के गठन और थ्री लेयर टेस्ट प्रक्रिया की बात कही थी। लेकिन आयोग का गठन अब तक नहीं हो सका है। सरकार ने कहा था कि ओबीसी उम्मीदवारों को सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक सर्वेक्षण के आधार पर आरक्षण दिया जाएगा।
लंबित निकाय चुनाव: 34 नगर निकाय प्रभावित
झारखंड के धनबाद, देवघर, चास नगर निगम समेत कई नगर निकायों का कार्यकाल समाप्त हो चुका है। इनमें से 14 का कार्यकाल मई 2020 में पूरा हुआ, जबकि अन्य 20 निकायों का कार्यकाल मई 2023 में समाप्त हुआ।
अदालत की सख्ती और अगली सुनवाई
हाईकोर्ट ने सरकार से स्पष्ट किया कि चुनाव कराने के आदेश का पालन हर हाल में सुनिश्चित किया जाए। अदालत ने चेतावनी दी कि यदि आदेश का पालन नहीं हुआ, तो यह अवमानना मानी जाएगी।अब सभी की नजर इस बात पर है कि सरकार निकाय चुनाव कराने की प्रक्रिया कब तक पूरी करती है और क्या चार महीने की समय सीमा का पालन हो पाता है।
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