शिबू सोरेन के तीन कर्म कार्यक्रम का विधिवत समापन, अब 15 को दशकर्म और 16 को ग्यारहवां, भारत रत्न की उठी मांग

शिबू सोरेन के तीन कर्म कार्यक्रम का विधिवत समापन, अब 15 को दशकर्म और 16 को ग्यारहवां, भारत रत्न की उठी मांग

रांची। झारखंड के दिशोम गुरु शिबू सोरेन के तीन कर्म का कार्यक्रम गुरुवार को पूरे विधि-विधान और पारंपरिक रीति-रिवाज के साथ सम्पन्न हो गया। ग्रामीणों, समाज के प्रमुख जनों और परिवार के सदस्यों की उपस्थिति में घाट पर धार्मिक अनुष्ठानों को संपन्न किया गया। अब अगले चरण में 15 अगस्त को दशकर्म और 16 अगस्त को ग्यारहवां संस्कार किया जाएगा, जिसकी तैयारी ज़ोरों पर है। मुखिया टुडू ने बताया कि दशकर्म कार्यक्रम में देशभर से लोगों के आने की संभावना है। इसे लेकर जिला प्रशासन सतर्क हो गया है और तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। शिबू सोरेन के पैतृक गांव में बड़े-बड़े पंडाल लगाए जा रहे हैं। तालाब की सफाई, पार्किंग और आगंतुकों के लिए बैठने की विशेष व्यवस्था की जा रही है। रामगढ़ और बोकारो के प्रशासनिक अमले लगातार स्थल का निरीक्षण कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने निभाई धार्मिक परंपरा, पिता को चढ़ाया अर्पण

गुरुवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने पिता की आत्मा की शांति के लिए तीसरे दिन की अर्पण विधि संपन्न की। उन्होंने दातुन, जल और अरवा चावल अर्पित किया। साथ ही यह प्रक्रिया अब लगातार प्रत्येक दिन निभाई जाएगी। धार्मिक अनुष्ठान के दौरान यह भी बताया गया कि स्वर्गीय शिबू सोरेन की आत्मा किस दिशा में गई है, जिस दिशा में परिवार ने जल अर्पित कर प्रार्थना की। पूरे कार्यक्रम में गुरुजी की पत्नी रूपी सोरेन, पुत्र बसंत सोरेन, बहू कल्पना सोरेन, बहन सीता सोरेन सहित पूरे परिवार ने भाग लिया। गांव के ग्रामीणों ने भी परंपराओं के अनुसार भागीदारी निभाई और श्रद्धांजलि अर्पित की। समाज के ठाकुर की ओर से घाट पर पारंपरिक रूप से तीन कर्म की प्रक्रिया पूरी कराई गई, जिससे ग्रामीणों का ‘छुतका’ भी समाप्त हो गया। अब 10 अगस्त को गोतिया व परिवार का छुतका समाप्त किया जाएगा।

भारत रत्न देने की उठी मांग, झामुमो ने केंद्र से किया आग्रह

इस बीच झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) की ओर से स्वर्गीय दिशोम गुरु शिबू सोरेन को भारत रत्न से सम्मानित करने की मांग की गई है। झामुमो के महासचिव विनोद कुमार पांडेय ने प्रेस बयान में कहा कि शिबू सोरेन का जीवन संघर्ष, सेवा और सामाजिक चेतना से परिपूर्ण रहा। वे केवल एक राजनेता नहीं, बल्कि आदिवासी अस्मिता और अधिकारों के प्रतीक थे। उन्होंने अपने जीवन में नशाखोरी, महाजनी प्रथा और सामाजिक अन्याय के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ी। उनके आंदोलनों ने झारखंड के हजारों गांवों में नई चेतना का संचार किया। वे न केवल झारखंड राज्य के निर्माण के अगुवा रहे, बल्कि केंद्र और राज्य में मंत्री और मुख्यमंत्री रहते हुए भी उन्होंने हमेशा जनहित को सर्वोपरि रखा। झामुमो का मानना है कि शिबू सोरेन को भारत रत्न से सम्मानित करना न सिर्फ उन्हें श्रद्धांजलि होगी, बल्कि देश के लोकतंत्र और सामाजिक न्याय के मूल्यों को भी सम्मान देना होगा। पार्टी ने केंद्र सरकार से इस विषय पर सकारात्मक पहल करने का अनुरोध किया है।

आगामी कार्यक्रमों की तैयारी में जुटा प्रशासन

दशकर्म और ग्यारहवें के कार्यक्रम को देखते हुए राज्य प्रशासन व्यापक तैयारी में जुट गया है। भारी संख्या में श्रद्धालुओं, राजनीतिक कार्यकर्ताओं और गणमान्य लोगों के आने की उम्मीद है। इसके मद्देनज़र सुरक्षा, यातायात और भोजन-पानी की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए लगातार बैठकों का दौर चल रहा है। गुरु जी के प्रति लोगों की श्रद्धा और सम्मान की झलक इन तैयारियों में साफ झलकती है। गांव के लोग भी अपने स्तर पर मेहमानों की सेवा और सांस्कृतिक परंपरा को निभाने के लिए तत्पर हैं।

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BIHAR - JHARKHAND

 

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