औरंगाबाद व्यवहार न्यायालय में अनिश्चितकालीन हड़ताल, न्यायिक कार्य ठप
औरंगाबाद। औरंगाबाद व्यवहार न्यायालय में सोमवार से कर्मचारियों ने अनिश्चितकालीन कलमबंद हड़ताल शुरू कर दी, जिसका व्यापक प्रभाव न्यायिक कार्यों पर पड़ा। सभी अदालतों के बाहर ताले लटके रहे और न्यायालय परिसर में सन्नाटा पसरा रहा। इस हड़ताल से अधिवक्ताओं और मुवक्किलों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।
चार मांगों को लेकर आंदोलन
व्यवहार न्यायालय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष श्रीकांत कुमार ने बताया कि यह हड़ताल राज्यव्यापी है और चार प्रमुख मांगों को लेकर की जा रही है। उन्होंने कहा कि जुलाई 2024 तक उच्च न्यायालय और राज्य सरकार ने मांगों के समाधान पर कोई ध्यान नहीं दिया, जिससे कर्मचारियों को हड़ताल पर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा।
न्यायिक कार्य पूरी तरह बाधित
हड़ताल के कारण रिमांड के लिए लाए गए अभियुक्तों को भी वापस लौटा दिया गया। संघ के मीडिया प्रभारी मनोज कुमार सिन्हा और ओम प्रकाश गुप्ता ने बताया कि न्यायालय परिसर में न तो वादों की सुनवाई हो पाई और न ही कोई अन्य कार्य संपन्न हुआ।
अधिवक्ताओं और मुवक्किलों को परेशानी
जिला विधिक संघ के अध्यक्ष विजय कुमार पांडे और महासचिव जगनारायण सिंह ने बताया कि इस हड़ताल से अधिवक्ताओं का न्यायिक कार्य पूरी तरह बाधित हो गया है। अधिवक्ता सतीश कुमार स्नेही ने कहा कि वाद के पक्षकार, गवाह, आईओ, एपीपी, एपीओ और पुलिस कर्मियों को निराश होकर लौटना पड़ा।
जल्द समाधान की उम्मीद
अधिवक्ता संघ ने राज्य सरकार और उच्च न्यायालय पटना से इस हड़ताल को जल्द समाप्त कराने के लिए ठोस कदम उठाने की अपील की है, ताकि न्यायिक कार्य सुचारु रूप से शुरू हो सके और वादियों को राहत मिले।
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