IRCTC घोटाला मामले में लालू, राबड़ी और तेजस्वी पर आरोप तय, कोर्ट ने कहा- ‘साजिश में शामिल था पूरा परिवार’
पटना। दिल्ली की राउज एवेन्यू अदालत ने सोमवार को चर्चित IRCTC घोटाला मामले में लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव के खिलाफ आरोप तय कर दिए। अदालत ने कहा कि लालू यादव की जानकारी में ही टेंडर घोटाले की पूरी साजिश रची गई थी और उन्होंने इस प्रक्रिया में दखल दी थी।
सुनवाई के दौरान अदालत ने लालू यादव से पूछा — “क्या आप आरोप स्वीकार करते हैं या ट्रायल का सामना करेंगे?” इस पर लालू यादव ने जवाब दिया, “सभी आरोप गलत हैं।” इसी तरह राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव ने भी अदालत के समक्ष कहा कि वे किसी साजिश या धोखाधड़ी में शामिल नहीं हैं।
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि राबड़ी और तेजस्वी यादव को बेहद कम कीमत पर जमीन मिली थी, जो इस घोटाले से जुड़ी हुई है। लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव तीनों एक ही वाहन से राउज एवेन्यू कोर्ट पहुंचे। अदालत परिसर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे।
आज ही लैंड फॉर जॉब केस में भी सुनवाई
इसी दिन लैंड फॉर जॉब केस की भी सुनवाई होनी है, जिसमें आरोप तय किए जाने हैं। इस मामले में लालू या तेजस्वी यादव की अदालत में मौजूदगी आवश्यक नहीं है। पिछली सुनवाई 25 अगस्त 2025 को हुई थी, जिसमें दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।
क्या है IRCTC घोटाला मामला
यह मामला वर्ष 2004 से 2009 के बीच का है, जब लालू प्रसाद यादव केंद्र में रेल मंत्री थे। सीबीआई के अनुसार, इस दौरान IRCTC के रांची और पुरी स्थित दो होटलों के रखरखाव का ठेका नियमों के विपरीत सुजाता होटल्स नामक निजी कंपनी को दिया गया। जांच एजेंसी का आरोप है कि इस ठेके के बदले में लालू परिवार को पटना में कीमती जमीन दी गई थी। मामले में लालू परिवार के अलावा IRCTC के तत्कालीन ग्रुप जनरल मैनेजर वीके अस्थाना, आरके गोयल और सुजाता होटल्स के निदेशक विजय व विनय कोचर भी आरोपी बनाए गए हैं। सीबीआई के अतिरिक्त निदेशक राकेश अस्थाना ने अदालत को बताया था कि लालू यादव ने रेल मंत्री रहते हुए रांची और पुरी के बीएनआर होटलों को IRCTC को हस्तांतरित किया था। इन्हें सुधारने और संचालित करने के लिए निजी कंपनियों को लीज पर देने की प्रक्रिया शुरू की गई थी। इसी प्रक्रिया में विनय कोचर की कंपनी को टेंडर देने में अनियमितता की गई। इस मामले में 17 जुलाई 2017 को सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की थी और आरोपियों के कई ठिकानों पर छापेमारी भी की थी।
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