दिल्ली एयरपोर्ट पर तकनीकी गड़बड़ी: ATC मैनुअल मोड में, सैकड़ों फ्लाइट्स प्रभावित

दिल्ली एयरपोर्ट पर तकनीकी गड़बड़ी: ATC मैनुअल मोड में, सैकड़ों फ्लाइट्स प्रभावित

दिल्ली।  शुक्रवार को इंडियन हवा मार्गों में तकनीकी खामी ने यात्रियों और एयरलाइनों के लिए मुश्किलें बढ़ा दीं। नेशनल कैपिटल के प्रमुख हवाई अड्डे पर एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) के ऑटोमेटिक मैसेज स्विच सिस्टम (AMSS) में आई खराबी के कारण कंट्रोलर को फ्लाइट शेड्यूल की स्वचालित जानकारी नहीं मिल पा रही है, जिससे 100 से अधिक उड़ानों में देरी दर्ज की गई।

प्रभावित सिस्टम AMSS ही वह तंत्र है जो हवाई अड्डे और एयरलाइंस के बीच टेकऑफ तथा लैंडिंग जैसी शेड्यूलिंग सूचनाएँ स्वतः भेजता है। सूत्रों के मुताबिक, जब यह सिस्टम ठप हुआ तो ATC कर्मियों ने पहले से मौज़ूद रिकॉर्ड और मैन्युअल प्रक्रियाओं के सहारे फ्लाइट शेड्यूल बनाना शुरू कर दिया। मैनुअल मोड में काम करने के कारण प्रोसेस धीमी हो गई और कई उड़ानें 30–50 मिनट तक देरी से रवाना हुईं।

विमान ट्रैकिंग प्लेटफॉर्म Flightradar24 के आंकड़ों के अनुसार, गुरुवार को भी बड़ी संख्या में उड़ानों में देरी दर्ज हुई थी — वहीं शुक्रवार की गड़बड़ी ने स्थिति को और गंभीर बना दिया। हवाईअड्डे के काउंटरों और टर्मिनल हॉल में यात्री अपनी उड़ानों की जानकारी के लिए कतारों में खड़े और इंतजार करते दिखे।

एयरलाइंस ने यात्रियों को सतर्क रहने की सलाह दी है — एअर इंडिया, स्पाइसजेट और इंडिगो ने आधिकारिक एडवाइजरी जारी कर कहा कि फ्लाइट शेड्यूल में बदलाव और देरी संभव है, इसलिए यात्री अपनी उड़ानों के लाइव अपडेट नियमित रूप से चेक करें और आवश्यकतानुसार एयरलाइन से संपर्क बनाए रखें।

दिल्ली के आस-पास GPS सिग्नलों में मिलने वाले ‘फेक अलर्ट’ भी चिंतनीय विषय बने हुए हैं। पिछले एक सप्ताह में पायलटों और नेविगेशन सिस्टमों को गलत लोकेशन की जानकारी देने वाली घटनाएं रिपोर्ट हुई हैं — जिसे GPS स्पूफिंग कहा जाता है। एयर ट्रैफिक कंट्रोल के अवलोकन में यह पाया गया कि लगभग 100 किलोमीटर के दायरे में ऐसे फेक सिग्नल मिले। इस बारे में जानकारी नागरिक उड्डयन नियामक निकाय DGCA को दे दी गई है और मामले की जांच चल रही है।

विशेषज्ञों का कहना है कि स्पूफिंग एक तरह का साइबर-आधारित हमला है, जिसमें नेविगेशन उपकरणों को धोखा देने के लिए नकली GPS संकेत भेजे जाते हैं। यह तकनीक आम तौर पर संघर्ष क्षेत्रों में दुष्प्रवृत्तियों के लिए उपयोग की जाती है, लेकिन सिविल हवाई मार्गों पर इसकी घटनाएँ सुरक्षा और नेविगेशन की विश्वसनीयता पर सवाल उठाती हैं।

अधिकारियों ने शुक्रवार को कहा कि सिस्टम रिपेयर और बैकअप प्रक्रियाओं के माध्यम से स्थिति को नियंत्रण में लाया जा रहा है और हवाईअड्डे पर सुरक्षा व संचालन सामान्य बनाए रखने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। हालांकि यात्रियों से अपेक्षा की जा रही है कि वे अपनी यात्रा योजनाओं में लचीलापन रखें और फ्लाइट स्टेटस चेक करते रहें।यह घटना उस समय गंभीर है जब विमानन तंत्र पर तकनीकी और साइबर जोखिम दोनों के असर जुड़े हुए नजर आ रहे हैं।

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BIHAR - JHARKHAND