औरंगाबाद से आनंद शंकर सिंह और कुटुंबा से राजेश राम बिहार कांग्रेस की दो मज़बूत धुरियां, जिनकी राजनीतिक यात्रा बनी पार्टी की पहचान
औरंगाबाद। बिहार की राजनीति में कांग्रेस भले बीते कुछ वर्षों में संघर्ष के दौर से गुजर रही हो, लेकिन अब भी उसके पास ऐसे नेता मौजूद हैं जो न केवल संगठन को मज़बूती दे रहे हैं बल्कि जनता के बीच पार्टी की पहचान को फिर से स्थापित करने में जुटे हैं। इनमें सबसे प्रमुख नाम हैं। कुटुंबा से बिहार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम और औरंगाबाद से विधायक आनंद शंकर सिंह। दोनों नेताओं की राजनीतिक यात्रा भले ही अलग-अलग राहों से शुरू हुई हो, लेकिन मंज़िल एक ही रही कांग्रेस को मज़बूती देना और जनता की उम्मीदों पर खरा उतरना।
राजेश राम : संगठन के सिपाही से प्रदेश अध्यक्ष तक की यात्रा
कुटुंबा की धरती से निकले राजेश राम की पहचान कांग्रेस संगठन के मजबूत स्तंभ के रूप में होती है। छात्र राजनीति से अपने सफर की शुरुआत करने वाले राजेश राम ने हमेशा संगठन की राजनीति को प्राथमिकता दी। जमीनी स्तर से लेकर राज्य स्तर तक उन्होंने पार्टी के लिए कार्य किया। कुटुंबा क्षेत्र में वे समाज के हर तबके से जुड़े रहे हैं — चाहे दलित वर्ग की समस्याएं हों, किसानों की परेशानी या युवाओं के रोज़गार का सवाल — राजेश राम ने हर मुद्दे को सदन और सड़क दोनों जगह उठाया। उनकी कार्यशैली में अनुशासन और संवाद की शक्ति झलकती है। इसी कारण कांग्रेस हाईकमान ने उन पर भरोसा जताते हुए उन्हें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की ज़िम्मेदारी सौंपी। आज राजेश राम न केवल कुटुंबा विधानसभा सीट से कांग्रेस के मज़बूत दावेदार हैं, बल्कि पार्टी के प्रदेश संगठन को पुनर्जीवित करने की दिशा में भी एक सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
आनंद शंकर सिंह : औरंगाबाद की धरती से विकास और समर्पण की कहानी
औरंगाबाद से कांग्रेस विधायक आनंद शंकर सिंह की राजनीति सेवा और सरलता से परिभाषित होती है। वे लंबे समय से क्षेत्र के लोगों के बीच लगातार सक्रिय रहे हैं। शिक्षित और व्यवहारिक व्यक्तित्व के कारण उन्होंने औरंगाबाद में कांग्रेस का जनाधार मजबूत किया है। विधायक बनने से पहले भी आनंद शंकर सामाजिक कार्यों से जुड़े रहे — उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और युवाओं के कौशल विकास के क्षेत्र में कई पहल कीं। अपने कार्यकाल में उन्होंने सड़कों, सिंचाई योजनाओं और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं के विकास पर जोर दिया। वे कांग्रेस की उस परंपरा का हिस्सा हैं जो संवाद और विकास को राजनीति का आधार मानती है। जनता से जुड़ाव और क्षेत्र में निरंतर उपस्थिति ने उन्हें औरंगाबाद की राजनीति में एक लोकप्रिय चेहरा बना दिया है।
दो पीढ़ियां, एक विचारधारा
राजेश राम और आनंद शंकर सिंह — ये दोनों नेता कांग्रेस की दो अलग-अलग पीढ़ियों का प्रतिनिधित्व करते हैं, लेकिन विचारधारा एक ही है — जनसेवा और संगठन का सशक्तिकरण। एक ओर जहां राजेश राम ने कांग्रेस संगठन को राज्यस्तर पर सशक्त करने का संकल्प लिया है, वहीं आनंद शंकर सिंह ने जमीनी स्तर पर पार्टी को जनता से जोड़ने की पहल की है। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में ये दोनों नाम कांग्रेस के लिए सिर्फ उम्मीदवार नहीं, बल्कि उम्मीद का प्रतीक बनकर उभरे हैं। अगर चुनाव परिणामों में जनता ने इन पर विश्वास जताया, तो निश्चित रूप से बिहार की राजनीति में कांग्रेस फिर से एक मज़बूत उपस्थिति दर्ज करा सकती है।
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