औरंगाबाद में खाद घोटाला: किसानों को दिए गए DAP खाद की बोरियों में मिले कंकड़-पत्थर, दुकान सील

 औरंगाबाद में खाद घोटाला: किसानों को दिए गए DAP खाद की बोरियों में मिले कंकड़-पत्थर, दुकान सील

औरंगाबाद |  बिहार के औरंगाबाद जिले के देव प्रखंड में किसानों के साथ धोखाधड़ी का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां DAP खाद की बोरियों में खाद की जगह कंकड़-पत्थर मिलने का मामला प्रकाश में आया है। इस घटना ने स्थानीय किसानों को न केवल हताश किया है, बल्कि कृषि क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। इस मामले के खुलासे के बाद संबंधित दुकान को सील कर दिया गया है, और आगे की जांच जारी है।

घटना का खुलासा

मामला तब सामने आया जब करमाडिह गांव के किसान बासुदेव यादव और विजय यादव समेत अन्य किसानों ने अपने खेतों में इस्तेमाल किए गए DAP खाद का कोई प्रभाव नहीं देखा। ये किसान स्थानीय बाजार में स्थित प्रोपराइटर संजय पांडे की दुकान से करीब 100 बोरी DAP खाद खरीदकर ले गए थे। जब 10 दिनों तक खाद का कोई सकारात्मक प्रभाव नहीं दिखा, तो किसानों ने खाद की गुणवत्ता पर संदेह जताया और उसकी जांच की। जांच में पाया गया कि खाद की बोरियों में 50 से 60 प्रतिशत कंकड़-पत्थर भरे हुए थे, जिससे किसानों का गुस्सा फूट पड़ा।

जांच और कार्रवाई

खाद में कंकड़-पत्थर मिलने की खबर फैलते ही प्रखंड कृषि पदाधिकारी कृष्ण देव चौधरी ने तुरंत संज्ञान लिया और गांव पहुंचकर किसानों से संपर्क किया। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद, अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर खाद की जांच की। जांच में पुष्टि हुई कि खाद की बोरियों में कंकड़-पत्थर मिले थे। इसके बाद, वरीय पदाधिकारियों के निर्देश पर संजय पांडे की खाद की दुकान को तत्काल प्रभाव से सील कर दिया गया। कृषि पदाधिकारी कृष्ण देव चौधरी ने बताया कि इस मामले में दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा, "बोरी में डीएपी खाद के साथ छोटे-छोटे कंकड़-पत्थर पाए गए हैं, जो कि किसानों के साथ घोर धोखाधड़ी है। हमने संबंधित दुकान को सील कर दिया है और प्रोपराइटर पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

किसानों में आक्रोश

इस घटना से इलाके के किसानों में भारी आक्रोश है। उनका कहना है कि प्रोपराइटर संजय पांडे का कई जगहों पर गोदाम है, जहां से वह किसानों को खाद बेचते हैं। किसानों को आशंका है कि यह धोखाधड़ी केवल एक दुकान तक सीमित नहीं हो सकती, बल्कि अन्य गोदामों और दुकानों में भी ऐसा हो सकता है। इस मामले को लेकर किसान संघों ने भी विरोध प्रदर्शन की चेतावनी दी है और मांग की है कि इस घोटाले में शामिल सभी लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।

प्रोपराइटर का बचाव

दूसरी ओर, आरोपों का सामना कर रहे प्रोपराइटर संजय पांडे ने खुद को निर्दोष बताते हुए कहा कि उन्होंने यह DAP खाद होलसेलर से खरीदा था। पांडे का कहना है कि उन्होंने जानबूझकर किसानों के साथ कोई गड़बड़ी नहीं की है, और इस मामले की जानकारी उन्होंने होलसेलर को भी दी है। अब यह देखना होगा कि जांच में क्या सामने आता है और इस धोखाधड़ी के पीछे कौन जिम्मेदार है।

न्याय की उम्मीद

किसानों के साथ हुई इस धोखाधड़ी ने औरंगाबाद जिले में कृषि क्षेत्र की सुरक्षा और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जहां एक ओर किसान इस घटना से आहत हैं, वहीं दूसरी ओर वे न्याय की उम्मीद कर रहे हैं। सरकार और प्रशासन से उम्मीद है कि दोषियों को सजा मिलेगी और किसानों को उनके नुकसान की भरपाई की जाएगी। इस घटना ने न केवल किसानों के विश्वास को चोट पहुंचाई है, बल्कि यह भी दिखाया है कि कृषि क्षेत्र में भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी गहरी हो सकती हैं। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि जांच के नतीजे क्या आते हैं और किसानों को न्याय मिल पाता है या नहीं।

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साकेत कुमार, BJMC 

उप-सम्पादक

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