सूर्यनगरी में समारोहपूर्वक मनी महाराणा प्रताप की जयंती
देव। सूर्य नगरी देव स्थित बगीचा रिसोर्ट में वीरता, स्वाभिमान और राष्ट्रभक्ति के प्रतीक महाराणा प्रताप की जयंती उत्साह, श्रद्धा और गौरव के साथ मनाई गई। कार्यक्रम की शुरुआत अतिथियों द्वारा महाराणा प्रताप के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई। उपस्थित जनसमुदाय ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए प्रताप की वीरगाथा को नमन किया। समारोह में वक्ताओं ने कहा कि महाराणा प्रताप मेवाड़ के ऐसे महान योद्धा थे, जिनकी तलवार ने मुगल बादशाह अकबर की विस्तारवादी नीति को खुली चुनौती दी। उनका जन्म 9 मई 1540 को कुंभलगढ़ दुर्ग में हुआ था और वे स्वाभिमान, आत्मनिर्भरता और स्वतंत्रता के प्रतीक हैं।
हल्दीघाटी का युद्ध, उनकी अटूट राष्ट्रनिष्ठा और साहस का इतिहास बन गया। समारोह में महाराणा प्रताप के अभिन्न सहयोगी भामाशाह के योगदान को भी याद किया गया। वक्ताओं ने बताया कि जब महाराणा प्रताप जंगलों में भटक रहे थे और आर्थिक संकट से जूझ रहे थे, तब भामाशाह ने अपनी पूरी संपत्ति समर्पित कर उन्हें पुनः संघर्ष के लिए सक्षम बनाया। यह उदाहरण आज के समाज के लिए प्रेरणादायक है।
वक्ताओं ने महाराणा प्रताप की तुलना आज के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से भी की, जिसमें भारतीय सेना पाकिस्तानी आतंकवादियों को मुंहतोड़ जवाब दे रही है। वक्ताओं ने कहा कि जिस तरह महाराणा प्रताप ने घास की रोटी खाकर भी पराधीनता को नकारा, उसी तरह हर भारतीय को राष्ट्र के लिए एकजुट होकर खड़ा रहना चाहिए। कार्यक्रम को नेहरू युवा केंद्र के मनोज परमार, नगर पंचायत अध्यक्ष पिंटू साहिल, बेढ़नी पंचायत के मुखिया मनोज सिंह, सरगांवा पंचायत के मुखिया विनोद सिंह, समाजसेवी उपेंद्र यादव, वीर कुंवर सिंह ट्रस्ट के उपाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह, निखिल सिंह, राकेश कुमार, दीपक गुप्ता, आचार्य विनोद सिंह, पवन पांडेय, संदीप दुबे और शिवम् गुप्ता सहित अन्य गणमान्यजनों ने संबोधित किया।
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