नालंदा जहर कांड में पांचवें व्यक्ति धर्मेंद्र प्रसाद की मौत, पत्नी, 2 बेटियों, बेटे के बाद पति ने तोड़ा दम

नालंदा जहर कांड में पांचवें व्यक्ति धर्मेंद्र प्रसाद की मौत, पत्नी, 2 बेटियों, बेटे के बाद पति ने तोड़ा दम

नालंदा। नालंदा जिले से एक बेहद दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है। पावापुरी थाना क्षेत्र में एक ही परिवार के पांच लोगों की मौत ने सामाजिक ताने-बाने, आर्थिक शोषण और मानसिक दबाव जैसे कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। घटना का मुख्य पात्र 42 वर्षीय धर्मेंद्र कुमार था, जो कर्ज के बोझ और सूदखोरों की प्रताड़ना से इतना टूट चुका था कि उसने अपने पूरे परिवार को ही साथ लेकर आत्महत्या का रास्ता चुन लिया। सल्फास की गोलियों से मां, बेटियों और बेटे को मौत की नींद सुलाने के बाद उसने खुद भी ज़हर खा लिया। पत्नी सोनी कुमारी (38), दो बेटियां दीपा (16) और अरिमा कुमारी (14), बेटा शिवम (14) – चारों की मौत शुक्रवार रात ही हो गई थी। शनिवार देर रात पटना के पीएमसीएच में इलाज के दौरान धर्मेंद्र की भी मौत हो गई। अब इस परिवार में केवल एक छोटा बेटा बचा है, जो पूरी घटना का चश्मदीद है और जो यह स्वीकार कर चुका है कि पिता ने ही सभी को सल्फास की गोलियां खिलाई थीं।

धर्मेंद्र ने दो स्थानीय साहूकारों से करीब 5 लाख 50 हजार रुपये का कर्ज लिया था। शर्त थी कि हर महीने 10 प्रतिशत ब्याज दर से उसे 55 हजार रुपये की किस्त देनी होगी। शुरुआत में दो महीने तक तो उसने जैसे-तैसे किस्तें चुकाईं, लेकिन धीरे-धीरे कर्ज की यह आग उसकी पूरी गृहस्थी को जलाने लगी। जब किस्तें बंद हुईं, तो सूदखोरों का असली चेहरा सामने आने लगा। धर्मेंद्र को लगातार फोन, धमकी और बदसलूकी झेलनी पड़ी। उसकी पत्नी से भी अपमानजनक व्यवहार किया गया। परिवार पर सामाजिक और मानसिक दबाव बढ़ता गया और अंततः धर्मेंद्र ने जो कदम उठाया, वह पूरे समाज के लिए एक चेतावनी बनकर सामने आया है।

शुक्रवार की शाम धर्मेंद्र अपने पूरे परिवार को लेकर मां काली मंदिर के पास पहुंचा। उसने प्रसाद में सल्फास की गोलियां मिलाकर पहले अपनी पत्नी, फिर दोनों बेटियों और बेटे को खिलाया। सभी को धीरे-धीरे मौत की नींद सुला दिया। इसके बाद खुद ने भी जहर खा लिया। सभी को बेहोशी की हालत में अस्पताल पहुंचाया गया, जहां शुक्रवार रात चार की मौत हो गई और शनिवार को धर्मेंद्र ने भी दम तोड़ दिया।

सिर्फ एक बच्चा बचा: जिंदा गवाही बना एक मासूम

परिवार के छह सदस्यों में से अब सिर्फ सबसे छोटा बेटा ही बचा है। इस बच्चे की उम्र अभी इतनी नहीं कि वह पूरी घटना की भयावहता को समझ सके, लेकिन उसने पुलिस के सामने साफ-साफ कहा कि “पिता ने ही सबको गोलियां दी थीं। इस मासूम की गवाही अब इस पूरे आत्महत्या कांड की सबसे अहम कड़ी बन चुकी है। नालंदा पुलिस ने घटना की गंभीरता को देखते हुए एसआईटी टीम का गठन किया है, जो इस घटना से जुड़े हर पहलू की गहराई से जांच करेगी। एसपी भारत सोनी ने शनिवार को खुद घटनास्थल का निरीक्षण किया और स्पष्ट कहा कि इस मामले में केवल आत्महत्या के पहलू तक सीमित नहीं रहा जाएगा, बल्कि सूदखोरों की भूमिका की भी गहराई से जांच होगी।

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Aman Raj Verma Picture

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BIHAR - JHARKHAND