गया। गया शहर को अब उसके गौरवशाली धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को मान्यता देते हुए “गया” की जगह “गया जी” के नाम से जाना जाएगा। यह बदलाव गया के ऐतिहासिक, पौराणिक और आध्यात्मिक महत्व को ध्यान में रखते हुए किया जा रहा है। बिहार के इस प्राचीन नगर को अब सरकारी और सामाजिक मंचों पर “गया जी” कहकर संबोधित किया जाएगा, जिससे इसकी गरिमा और श्रद्धा को और मजबूती मिलेगी।
गया बिहार के सबसे सुंदर और प्राचीन शहरों में से एक है, जिसकी प्रसिद्धि न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी फैली हुई है। यह शहर दो महान धर्मों—हिंदू और बौद्ध—की आस्था का केंद्र है। हिंदू धर्म में गया को पिंडदान और श्राद्ध का प्रमुख तीर्थ स्थल माना जाता है, जहां हजारों श्रद्धालु हर साल अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए अनुष्ठान करने आते हैं।
गया का नाम पौराणिक असुर "गयासुर" के नाम पर पड़ा है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार गयासुर एक शक्तिशाली असुर था जिसने भगवान विष्णु की तपस्या कर यह वरदान प्राप्त किया कि उसके शरीर को स्पर्श करने मात्र से सभी पाप नष्ट हो जाएंगे। लेकिन जब उसने इस शक्ति का दुरुपयोग करना शुरू किया, तो भगवान विष्णु ने उसे पाताल में दबाने का निर्णय लिया। माना जाता है कि जिस स्थान पर भगवान विष्णु ने गयासुर को अपने पैरों से दबाया, वही स्थान वर्तमान में गया जी है। इसलिए गया जी को हिंदू धर्म में मोक्ष प्राप्ति का द्वार माना जाता है। कहा जाता है कि यहां पर पिंडदान और श्राद्ध करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति और मुक्ति मिलती है।
बौद्ध धर्म के लिहाज से भी गया जी अत्यंत पवित्र है। बोधगया, जो गया जिले का ही हिस्सा है, वह स्थान है जहां महात्मा बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। बौद्ध ग्रंथों के अनुसार महात्मा बुद्ध ने एक पीपल के पेड़ के नीचे कठोर तपस्या की थी और यहीं उन्हें बोधि (ज्ञान) की प्राप्ति हुई थी। आज भी यह पीपल का पेड़ "बोधि वृक्ष" के रूप में श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है और लाखों बौद्ध श्रद्धालु यहां आकर प्रार्थना करते हैं।
गया जी का यह धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व न केवल बिहार बल्कि पूरे भारत और विश्व को गौरव प्रदान करता है। ऐसे में इसे “गया जी” कहकर संबोधित करना, केवल एक नाम परिवर्तन नहीं बल्कि एक आध्यात्मिक पहचान को सम्मान देने का प्रयास है। इससे शहर की सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक स्तर पर पहचान मिलेगी और पर्यटन को भी नया प्रोत्साहन मिलेगा। गया जी आने वाले समय में और अधिक धार्मिक पर्यटन का केंद्र बनेगा और इसकी ऐतिहासिक पहचान को नई ऊंचाई मिलेगी।