राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान का बयान: बिहार लोकतंत्र की जननी, वैशाली से ही शुरू हुआ जनता के द्वारा शासन का विचार
नवादा। बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने सोमवार को कहा कि बिहार केवल भारत ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व के लिए लोकतंत्र की जननी रहा है। वे यह बात हिसुआ टी. एस. कॉलेज में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सेमिनार के उद्घाटन अवसर पर ‘भारतीय राज्यव्यवस्था: एक आलोचनात्मक मूल्यांकन’ विषय पर बोलते हुए कह रहे थे।
अपने संबोधन में राज्यपाल ने ऐतिहासिक तथ्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि “लोकतंत्र भारत के लिए कोई नया विचार नहीं है। जब दुनिया में रोमन साम्राज्य जैसी राजव्यवस्थाओं का नामोनिशान भी नहीं था, उस समय वैशाली और दक्षिण भारत के कुछ क्षेत्रों में राजा चुनने का निर्णय जनता करती थी।” उन्होंने कहा कि भारत का लोकतांत्रिक इतिहास हजारों वर्ष पुराना है और यह हमारी संस्कृति और सामाजिक चेतना में गहराई से समाहित है।
राज्यपाल खान ने इस अवसर पर लोकतंत्र की व्यापकता और उसकी उपयोगिता को रेखांकित करते हुए कहा कि “दुनिया में इंसान द्वारा बनाए गए शासन प्रणालियों में लोकतंत्र सबसे बेहतर प्रणाली है। यह व्यवस्था नागरिकों को न केवल भागीदारी का अधिकार देती है, बल्कि उन्हें शासन की दिशा तय करने में निर्णायक बनाती है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि आज जब विश्व के कई हिस्सों में लोकतांत्रिक मूल्य खतरे में हैं, भारत में यह व्यवस्था और अधिक सशक्त और जन-समर्थ बनती जा रही है।
राज्यपाल ने बिहार के ऐतिहासिक और बौद्धिक योगदान को रेखांकित करते हुए युवाओं से अपील की कि वे भारतीय राज्यव्यवस्था के विकास को समझें और लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत करें। उन्होंने यह भी कहा कि आलोचनात्मक मूल्यांकन केवल व्यवस्था की कमजोरियों की ओर इशारा नहीं करता, बल्कि उसमें सुधार और सशक्तिकरण की संभावनाएं भी दिखाता है।
कार्यक्रम में देश-विदेश के विद्वान, प्राध्यापक और छात्र बड़ी संख्या में मौजूद थे। राज्यपाल के इस विचारोत्तेजक भाषण ने युवाओं और शिक्षाविदों को भारतीय लोकतंत्र की ऐतिहासिक विरासत और वर्तमान प्रासंगिकता पर गंभीर मंथन के लिए प्रेरित किया।
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