नीतीश कुमार का एक और बड़ा ऐलान, सफाई कर्मचारी आयोग का होगा गठन
पटना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को बिहार के सफाई कर्मचारियों के हित में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए ‘बिहार राज्य सफाई कर्मचारी आयोग’ के गठन की घोषणा की। एक्स (पूर्व ट्विटर) के माध्यम से इसकी जानकारी साझा करते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोग सफाईकर्मियों के कल्याण, अधिकारों की सुरक्षा और उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए एक सशक्त मंच बनेगा। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि आयोग में एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष और पांच सदस्य होंगे, जिनमें कम से कम एक महिला या ट्रांसजेंडर सदस्य की अनिवार्य भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। यह संरचना समावेशिता और सामाजिक न्याय के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
वंचितों को मुख्यधारा में लाने की पहल
यह आयोग न केवल सफाई कर्मचारियों की समस्याओं की सुनवाई करेगा, बल्कि उनकी शिकायतों के समाधान, अधिकारों की रक्षा, कार्यस्थिति, वेतन और कल्याण योजनाओं के क्रियान्वयन की निगरानी भी करेगा। साथ ही यह समाज के उस वर्ग को, जो दशकों से हाशिये पर रहा है, मुख्यधारा में लाने की दिशा में निर्णायक भूमिका निभाएगा।
वर्षों से लंबित मांग को मिली मंजूरी
यह फैसला ऐसे समय आया है जब सफाई कर्मचारी संघ वर्षों से आयोग के गठन की मांग कर रहा था। इस संबंध में प्रदर्शन, धरना और ज्ञापन दिए गए थे। अंततः नीतीश सरकार ने इस मांग को स्वीकार कर, एक सामाजिक और राजनीतिक संदेश देने का प्रयास किया है कि सरकार श्रमिक वर्ग के साथ खड़ी है।
राजनीतिक और चुनावी संदर्भ
राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव की सरगर्मी के बीच नीतीश कुमार की यह घोषणा एक रणनीतिक और सामाजिक दोनों ही दृष्टिकोण से अहम मानी जा रही है। इससे ठीक पहले मुख्यमंत्री ने पत्रकारों की पेंशन ₹6000 से बढ़ाकर ₹15,000 करने, एक करोड़ रोजगार देने, सामाजिक सुरक्षा पेंशन ₹1100 करने और 125 यूनिट तक बिजली मुफ्त देने की घोषणाएं की थीं। अब सफाई कर्मचारियों के लिए आयोग की स्थापना को भी इसी श्रृंखला की एक कड़ी माना जा रहा है।
नीतीश कुमार की सरकार इससे पहले भी विभिन्न वर्गों के लिए आयोगों का गठन कर चुकी है — जैसे युवा आयोग, Extremely Backward Classes Commission, Mahadalit Commission आदि। इस बार सफाईकर्मियों के लिए आयोग बनाकर सरकार ने फिर संकेत दिया है कि वह अपने ‘सामाजिक न्याय मॉडल’ पर कायम है, और राजनीतिक समीकरणों को मजबूत करने के साथ-साथ सामाजिक सरोकारों को भी साधना चाहती है।
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