बिहार: 52 लाख वोटर्स का कट सकता है नाम, 1 अगस्त से विशेष जांच अभियान
पटना। बिहार में चुनाव आयोग द्वारा चलाए जा रहे विशेष सघन पुनरीक्षण (SIR) अभियान के दौरान वोटर लिस्ट में भारी गड़बड़ियां सामने आई हैं। आयोग के ताजा आंकड़ों के अनुसार, राज्य के 52 लाख 30 हजार से अधिक मतदाता अपने पंजीकृत पते पर नहीं पाए गए हैं, जिनका नाम मतदाता सूची से हटाया जा सकता है। यह राज्य के कुल 7 करोड़ 68 लाख से अधिक रजिस्टर्ड वोटर्स का 6.62 प्रतिशत हिस्सा है।
18 लाख से अधिक मृतकों के नाम, लाखों ने एक से ज्यादा जगह बनवा रखी है वोटर ID
चुनाव आयोग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, पुनरीक्षण के दौरान जो 52.30 लाख मतदाता अपने पते पर नहीं पाए गए, उनमें से 18 लाख 66 हजार से ज्यादा लोग अब जीवित नहीं हैं, लेकिन उनके नाम अब तक मतदाता सूची में दर्ज हैं। इसके अलावा, 26 लाख से अधिक मतदाता ऐसे मिले हैं जो स्थायी रूप से अपने पते से दूसरी जगह स्थानांतरित हो चुके हैं। सबसे हैरान करने वाला आंकड़ा यह है कि करीब 7 लाख 50 हजार से अधिक लोगों ने दो या उससे अधिक स्थानों पर मतदाता पहचान पत्र (Voter ID) बनवा रखी है, यानी वो एक से अधिक विधानसभा क्षेत्रों में पंजीकृत हैं। वहीं 11 हजार 484 ऐसे नाम भी सामने आए हैं, जिनके बारे में अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि वे कहां रह रहे हैं या जीवित हैं भी या नहीं।
1 अगस्त से चलेगा विशेष सत्यापन अभियान, घर-घर होगी जांच
चुनाव आयोग ने इन विसंगतियों को दूर करने के लिए 1 अगस्त से 1 सितंबर 2025 तक राज्यव्यापी विशेष जांच अभियान चलाने का निर्णय लिया है। इस दौरान BLO (बूथ लेवल ऑफिसर) राज्यभर में घर-घर जाकर मतदाताओं की जानकारी का सत्यापन करेंगे। अभियान के दौरान हर मतदाता को यह अवसर मिलेगा कि वह अपने नाम को सूची में जोड़ने, हटवाने, संशोधन करवाने या आपत्ति दर्ज कराने के लिए आवेदन कर सके। इसके लिए आयोग की वेबसाइट के अलावा, संबंधित BLO या निर्वाचन कार्यालयों में फॉर्म जमा किया जा सकता है। इस व्यापक कार्य में राजनीतिक दलों के नियुक्त जिला प्रतिनिधि, करीब 1 लाख BLO, 4 लाख वालंटियर और 1.5 लाख BLA (Booth Level Agents) को शामिल किया गया है, जो सभी जिलों में समन्वय के साथ कार्य करेंगे।
चुनाव पूर्व आयोग की सबसे बड़ी तैयारी
बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले निर्वाचन आयोग की यह सबसे बड़ी तैयारी मानी जा रही है, जिसके जरिए वह मतदाता सूची को पूरी तरह दुरुस्त और पारदर्शी बनाना चाहता है। आयोग का यह कदम एक ओर जहां लोकतंत्र की मजबूती की दिशा में महत्वपूर्ण है, वहीं दूसरी ओर इससे राजनीतिक दलों के लिए भी यह स्पष्ट संदेश है कि अब फर्जी वोटिंग या डुप्लीकेट नामों के सहारे चुनाव प्रभावित करना आसान नहीं रहेगा।
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