मोबाइल से वोटिंग कराने वाला बिहार बनेगा पहला राज्य नगरपालिका चुनाव में ई-वोटिंग की सुविधा

मोबाइल से वोटिंग कराने वाला बिहार बनेगा पहला राज्य नगरपालिका चुनाव में ई-वोटिंग की सुविधा

पटना। बिहार एक बार फिर देश में लोकतांत्रिक नवाचार की दिशा में बड़ी छलांग लगाने जा रहा है। बिहार राज्य निर्वाचन आयोग ने ऐतिहासिक कदम उठाते हुए मतदान को और अधिक स्मार्ट, पारदर्शी और सुलभ बनाने की दिशा में आधुनिक तकनीक का सहारा लिया है। अब बिहार देश का ऐसा पहला राज्य बनने जा रहा है, जहां नगर निकाय चुनावों में मतदाता अपने मोबाइल फोन के जरिए घर बैठे ही वोट डाल सकेंगे। यह ई-वोटिंग आगामी शनिवार, 28 जून को आयोजित होने वाले बिहार की नगरपालिका आम और उप-निर्वाचन 2025 के लिए लागू की गई है, जिससे चुनाव प्रक्रिया में क्रांतिकारी बदलाव की उम्मीद की जा रही है।

राज्य निर्वाचन आयोग के मुताबिक, “नगरपालिका आम और उप-निर्वाचन 2025 के दौरान निर्वाचन प्रक्रिया में उन्नयन और नवाचारों की कड़ी को आगे बढ़ाते हुए ई-वोटिंग प्रणाली की नींव रखी गई है। इस माध्यम से पहली बार मतदाता ई-वोटिंग से मतदान करने का गौरव प्राप्त करेंगे।” इस तकनीक के जरिए पंजीकृत मतदाता अपने घर से ही अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगे, जिससे न केवल चुनाव प्रक्रिया सरल होगी, बल्कि मतदाताओं के समय और श्रम की भी बचत होगी।

आयोग की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, ई-वोटिंग के लिए राज्य भर में कुल 51,157 मतदाताओं ने पंजीकरण कराया है। इनमें प्राथमिक रूप से वरिष्ठ नागरिक, शारीरिक रूप से दिव्यांग, असाध्य रोगों से ग्रसित लोग, गर्भवती महिलाएं और प्रवासी मजदूर शामिल हैं। यह व्यवस्था विशेष रूप से उन लोगों के लिए वरदान साबित होगी, जो शारीरिक या अन्य कारणों से मतदान केंद्र तक पहुंचने में असमर्थ रहते हैं। ये पंजीकृत मतदाता अब बिना किसी कठिनाई के 28 जून को मोबाइल ऐप के जरिए अपने घर पर ही सुरक्षित तरीके से वोट डाल सकेंगे।

इस ऐतिहासिक कदम को लेकर बिहार में जबरदस्त उत्साह है। राज्य निर्वाचन आयोग इसे बिहार की निर्वाचन प्रक्रिया के लिए एक ऐतिहासिक क्षण मान रहा है। आयोग का मानना है कि यह तकनीक मतदान को और अधिक स्मार्ट, पारदर्शी और भरोसेमंद बनाएगी। सबसे अधिक ई-वोटिंग पंजीकरण बक्सर जिले से हुआ है, जबकि पटना, पूर्वी चंपारण, रोहतास, गया, सारण, सिवान और बांका की नगरपालिकाएं भी इस तकनीक के जरिए होने वाले चुनावों में शामिल हैं।

राज्य निर्वाचन आयोग ने हाल ही में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जिला निर्वाचन अधिकारियों के साथ विस्तार से बैठक की, जिसमें ई-वोटिंग की रणनीति और तकनीकी पहलुओं पर चर्चा की गई। आयोग का स्पष्ट कहना है कि यह सुविधा पूरी तरह ऐच्छिक है। यानी जो मतदाता इस तकनीक को अपनाना चाहते हैं, वे ही इसका उपयोग करेंगे। ई-वोटिंग को लेकर सुरक्षा मानकों का विशेष ध्यान रखा गया है ताकि किसी भी तरह की तकनीकी गड़बड़ी या डेटा लीक की आशंका न रहे।

राज्य निर्वाचन आयुक्त दीपक प्रसाद ने कहा कि आयोग का सदैव यह प्रयास रहा है कि प्रत्येक मतदाता को स्वतंत्र, निष्पक्ष, पारदर्शी, उत्तरदायित्वपूर्ण और सुलभ मतदान प्रक्रिया उपलब्ध कराई जाए। उन्होंने कहा, “इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए ई-वोटिंग का प्रयोग किया जा रहा है। देश में बिहार पहला राज्य है, जहां इस पद्धति को लागू किया जा रहा है। मतदाताओं के लिए यह नई पहल न सिर्फ समय की बचत करेगी, बल्कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में उनकी भागीदारी को भी और अधिक सशक्त बनाएगी।” उन्होंने बताया कि मोबाइल ऐप से मतदान करने के लिए मतदाताओं को पहले पंजीकरण कराना अनिवार्य है, जिससे उनकी पहचान और वोटिंग की गोपनीयता सुनिश्चित की जा सके।

बिहार राज्य निर्वाचन आयोग का यह कदम देश में डिजिटल लोकतंत्र की ओर एक बड़ा और साहसिक कदम माना जा रहा है। अब देखना होगा कि तकनीक के इस नए प्रयोग को मतदाता किस हद तक अपनाते हैं और यह नवाचार बिहार की चुनावी राजनीति और प्रशासनिक व्यवस्था को किस तरह नया आयाम देता है।

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BIHAR - JHARKHAND