राजेश राम ने इस मौके पर कहा कि कांग्रेस की यह पहल ‘गारंटियों का गुलदस्ता’ है, जिसके जरिये पार्टी अपने वादों को हर घर तक पहुंचाएगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि महागठबंधन का घोषणापत्र भी इसी कैंपेन की टैगलाइन के तहत जारी किया जाएगा। इसके पीछे कांग्रेस की सोच है कि जनता को महज वादे नहीं, बल्कि ठोस और लागू की जाने वाली गारंटियों का भरोसा दिलाया जाए।
‘हर घर अधिकार’ अभियान में कांग्रेस ने कई महत्वाकांक्षी योजनाओं की घोषणा की है, जिनमें महिलाओं को प्रतिमाह आर्थिक सहायता, वृद्ध और दिव्यांगों को पेंशन, मुफ्त बिजली, मुफ्त इलाज और भूमिहीनों को मकान बनाने के लिए जमीन देने जैसी बातें शामिल हैं। इसके साथ ही युवाओं के लिए स्टार्टअप फंड और सरकारी नौकरियों की संभावनाएं भी इस अभियान का हिस्सा हैं। कांग्रेस का दावा है कि ये योजनाएं समाज के सभी वर्गों की जरूरतों को ध्यान में रखकर तैयार की गई हैं।
कांग्रेस ने यह भी ऐलान किया है कि राज्य में अगर उसे मौका मिला तो वह रोजगार और स्वास्थ्य को हर नागरिक का कानूनी अधिकार बनाएगी। कृष्णा अल्लावारू ने कहा कि पार्टी पहले भी शिक्षा, भोजन और सूचना का अधिकार देकर जनता को सशक्त बना चुकी है और अब बिहार में नई पीढ़ी को काम और इलाज की गारंटी देने के लिए प्रतिबद्ध है। कैंडिडेट चयन को लेकर भी कांग्रेस सक्रिय हो गई है। राजेश राम ने बताया कि पार्टी ने स्क्रीनिंग कमेटी का गठन कर दिया है जो गठबंधन के अंदर सीट बंटवारे के बाद उम्मीदवारों के नाम तय करेगी। इस प्रक्रिया में सामाजिक समीकरण, जनाधार और राजनीतिक अनुभव जैसे कारकों को अहमियत दी जाएगी।
‘हर घर अधिकार’ अभियान के जरिए कांग्रेस न केवल अपनी चुनावी उपस्थिति को मजबूत करना चाहती है, बल्कि वह यह संदेश भी देना चाहती है कि उसकी राजनीति लोगों के अधिकारों पर आधारित है। पार्टी का जोर इस बात पर है कि हर वर्ग को न्याय मिले और समाज के सबसे कमजोर तबकों को सरकार की योजनाओं का वास्तविक लाभ पहुंचे। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस का यह जनसंपर्क अभियान बिहार की जनता में कितना भरोसा कायम कर पाता है और क्या यह उसे चुनावी लाभ दिलाने में सफल होता है।
