गुलजार रहने वाली प्रकृति की सौन्दर्यमयी घटा पर छाई है वीरानगी

गुलजार रहने वाली प्रकृति की सौन्दर्यमयी घटा पर छाई है वीरानगी

ककोलत जल प्रपात पर लगा कोरोना का ग्रहण

मिथिलेष कुमार (वरिष्ठ पत्रकार)

 

नवादा। विश्व में कोरोना वायरस का कहर मानव के मानवीय गुणों का कुंद करता जा रहा है। विश्व के विकासशील देशों में इसका खौफ इस कदर हावी होता जा रहा है कि वर्तमान परिवेश में खुद को सर्वशक्तिमान समझने वाले मानव भी लॉकडाउन का पालन करने पर विवश होकर अपने घरों में दुबके हुये हैं। विश्व में करोड़ों लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं और लाखों लोगों की मौत भी हो चुकी है। देश के विभिन्न राज्यों में कोरोना के बढ़ते मामलों से जहां सरकार की नींद उडी हुई है वहीं आम लोगों का चैन छीन गया है। कोरोना के रोकथाम के लिए देश में घोषित लॉकडाउन पिछले दो वर्षों से कामो-बेस लगातार जारी है। हालाकिं लॉकडाउन का प्रतिकूल प्रभाव आम जनजीवन के साथ-साथ पर्यटक स्थलों पर भी पड़ा है। झारखंड को बिहार से जोड़ने वाले दक्षिण सीमा पर स्थित नवादा जिले का ककोलत जल प्रपात पर भी कोरोना वायरस का ग्रहण लग चुका है। सदैव गुलजार रहने वाली ककोलत की वादियां सुनी हो गयी हैं। वर्तमान समय में यहां वीरानगी छायी हुई है। यह बिहार का एकमात्र जल प्रपात है जिसपर ग्रहण लग चुका है। बहरहाल यहां आने वाले सैलानी लॉकडाउन का पालन कर अपने घरों में कैद हो गये हैं। इलाके में सन्नाटा पसरा हुआ है। सामान्य दिनों में यहां गर्मी का महीना आते ही सैलानियों का आगमन प्रांरभ हो जाता था। परन्तु इस वर्ष कोरोना की वजह से यहां सैलानियों का आना बंद हो गया है। लगभग दो वर्षों से स्थिति जस की तस बनी हुई है। ककोलत में 14 अप्रैल से ही विसुआ मेला प्रारंभ होता था। हाल में ही बिहार सरकार ने ककोलत के विकास के लिये कई विकास योजनाओं की स्वीकृति प्रदान की थी। तथा विकास के कार्य प्रारंभ किये जा चुके है। साथ ही साथ ककोलत महोत्सव की तैयारी की संभावना भी बन रही थी। परन्तु कोरोना वायरस के कारण विसुआ मेला पर ग्रहण तो लगा ही साथ ही इसके उत्थान पर भी रोक लग गयी। पौराणिक मान्यताओं एवं परम्पराओं के अनुसार प्रतिवर्ष बैसाखी के दिन ककोलत में तीन दिवसीय मेला का आयोजन किया जाता है। हालांकि अब तक मेले को अधिकारिक दर्जा प्राप्त नही हुआ है। बावजूद मेले में हजारों की संख्या में सैलानी पहुंच कर ककोलत जल प्रपात के शीतल जल में स्नान करने का आनंद उठाते है। परन्तु मौजुदा समय में प्रशासन द्वारा मेला आयोजन पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है। ककोलत के विकास के लिये लगातार प्रयास कर रहे ककोलत विकास परिषद की भुमिका काफी सरहानीय रही है।

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स्थानीय बताते हैं कि ककोलत में वर्ष 1998 में पहली वार पॉच दिवसीय विसुआ मेला का आयोजन किया गया था। उस समय से लगातार प्रति वर्ष परिषद के द्वारा ककोलत के विकास के लिये सरकार से मांग होती रही है। धीरे धीरे सैलानियों का आना बढ़ता गया साथ ही साथ स्थानीय स्तर पर प्रपात के पास पहॅुचने के लिये मार्ग को सुगम बनाने का प्रयास भी जारी रहा। लंबे अर्से से उपेक्षित ककोलत के लिए विकास का द्वार बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खोलते हुये करोड़ो रूपये की स्वीकृति प्रदान कर दी। दो वर्ष पूर्व मुख्यमंत्री ने नवादा जिले में कई योजनाओं का उदघाटन एवं शिलान्यास एक साथ करते हुये ककोलत पहुॅच कर प्रकृति के अनमोल उपहार एवं प्रपात के स्वर्णिम घटा का जायजा लिया था। अपने आगमन के बाद ही उन्होनें ककोलत के विकास के लिये संबधित विभाग को आदेश जारी करते हुये इसे बिहार पर्यटन से जोड़ने की भी बात की थी। मुख्यमंत्री ने ककोलत के विकास के लिये काफी दिनों के बाद लंबी लकीर खींची जिससे आने वाले दिनों में ककोलत विश्व के मानचित्र पर अपना अलग पहचान बनायेगा।

  • इक्को टुरिज्म के माध्यम से होगा ककोलत का विकास

बिहार सरकार ने ककोलत को इक्कों टुरिज्म के माध्यम से इसे विकास की श्रेणी में रखा है। राज्य सरकार अन्य पर्यटक स्थलों की तरह ककोलत का विकास करेगी जिसके लिये कई कार्ययोजनाएं तैयार की गयी हैं। इक्कों टुरिज्म विकसित होने के बाद ककोलत क्षेत्र में पर्यावरण को दूषित करने वाले इंधन से चलने वाले वाहनों के प्रवेष पर प्रतिबंध रहेगा। बैटरी से चलने वाले वाहन ही ककोलत के मुख्य द्वार तक पहुंच सकेगें। ककोलत के मुख्यद्वार को वर्तमान में पार्किंग स्थल के पास लाया जायेगा। तथा पार्किग को अस्थायी हैलीपैड के समीप किया जायेगा। ककोलत क्षेत्र अंतर्गत स्थायी दुकानों को पार्किग के समीप करने की भी योजना बनाई गयी है। आस पास के इलाकों में पर्यटन विकास की योजनाये प्रांरभ हो चुकी है। वर्तमान में सीढ़ीयों का निर्माण कराया जा चुका है। तथा इससे सटे एक्सलेटर बनाने का कार्य भी किया जाना है। इसके लिये करीब दो करोड़ की राशि की स्वीकृति प्रदान की गयी है। एक्सलेटर बनाने का कार्य अभी प्रारंभ नही किया गया है। ककोलत का सौन्दर्यीकरण प्रोजक्ट का कार्य वनविभाग के जिला एजेंसी के द्वारा किया जा रहा है। वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार  ककोलत के विकास के लिये सरकार ने तीन करोड़ 34 लाख रुपयों की राशि  विमुक्त की है। सीढ़ी का कार्य के साथ बहुत कार्य सम्पन्न कराए जा चुके हैं। सैलानियों के लिये ककोलत सजधज कर तैयार ही था कि कोरोना ने सबकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। 

  • ककोलत की पौराणिक मान्यता

किवदंती मान्यता है कि ककोलत जल प्रपात के शीतल जल में स्नान करने से सर्प योनि से मुक्ति मिलती है।  सर्प योनि से मुक्ति को लेकर भगवान नारायण ने भी ककोलत में स्नान किया था। स्थानीय दंत कथाओं एवं पौराणिक मान्यताओं तथा ककोलत के एतिहासिक जानकारों के अनुसार त्रेता युग में दंडकारण्य वन यही से प्रांरभ होने का जिक्र किया गया है। साथ ही साथ वन प्रक्षेत्र में तपस्वी सप्तऋषि मुनि का आश्रम रजौली के पहाड़ी क्षेत्र में तथा पांडवो के अज्ञातवास स्थली की बात भी कही जाती है। रजौली में आज भी सप्तऋषि पहाडी प्रमाणिक है। आज भी वहां प्रतिवर्ष वार्षिक मेले का आयोजन किया जाता है। श्रद्वालु एवं सैलानी मान्यताओं के अनुसार मन्नत भी मांगते है और परम्पराओं के अनुकूल पूर्जा अर्चना भी करते है।

  • विकास कार्य पूर्ण होने पर बदलेगी ककोलत की सूरत

वर्तमान समय में ककोलत मे हो रहे विकास कार्यों के पूर्ण होने के बाद ककोलत की तस्वीर बदल जायेगी। बिहार सरकार अपने राजकीय पर्यटन स्थलों में ककोलत को सूचिबद्व करने के उपरांत राजगीर महोत्सव, तपोवन महोत्सव, नालंदा महोत्सव, पावापुरी महोत्सव के तर्ज पर ककोलत महोत्सव अपने स्तर से करायेगी। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये सरकार संकल्पित है। तथा इसकी अपार संभावनायें भी बन रही हैं। यहां आने वाले सैलानियों के लिये विशेष सुविधाओं का ख्याल भी रखा गया है। सुरक्षा, यातायात, रात्रि विश्राम सहित अन्य सुविधाओं से युक्त ककोलत आने वाले दिनों में विश्व विख्यात होगा। देश के विभिन्न भागों में स्थित प्रसिद्ध जल प्रपातों में ककोलत अपना स्थान अवश्य बनायेगा। वर्तमान समय में कोरोना को लेकर ककोलत वीरान हो गया है। सैलानियों से गुलजार रहने वाला ककोलत जल प्रपात वैश्विक आपदा के कारण प्रकृति के घटा में ग्रहण लग रहा है। सामाजिक दुरियों एवं प्रतिबंधों के कारण सैलानियों के मन की कसक तथा प्रपात का आनंद लेने की कल्पना तब तक साकार नही होगी जब तक कि कोरोना वायरस का प्रभाव और लोगों के मन में व्याप्त भय दूर नही हो जाता है। परन्तु यह तय है कि आने वाले दिनों में ककोलत की वादियां सैलानियों के आगमन से गुलजार होंगीं। एवं लोग अपने मन की कसक को पूरा करेगें। पर्यटन विभाग के सचिव ने भी हाल में ककोलत का दौरा कर विकास कार्यो का जायजा लेकर कार्य एजेंसी को आवश्यक निर्देश देते हुए उन्हें बाकी बचे हुए कार्यो को भी पूरा करने की हिदायत दिया था। ककोलत क्षेत्र में कोरोना के कारण छाए सन्नाटे पर केयर टेकर यमुना पासवान ने कहा कि सैलानियों से गुलजार रहने वाले इस स्थल पर कोरोना का संकट छाया हुआ है। यहां सुरक्षा के लिहाज से सैलानियो पर प्रतिबंध लगाया गया है। लॉकडॉउन में ढील के बाद स्थिति में सुधार होगा। 

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साकेत कुमार, BJMC 

उप-सम्पादक

सोन वर्षा वाणी 

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