बिहार: बीएड प्रवेश परीक्षा के स्टेट नोडल अफसर बने भ्रष्टाचार के आरोपी अधिकारी
बिहार। बीएड और शिक्षा शास्त्री (बीएड) के लिए होने वाली कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (सीईटी) में एक बड़े विवाद ने जन्म ले लिया है। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय (एलएनएमयू) ने इस परीक्षा के लिए स्टेट नोडल अफसर के रूप में अशोक कुमार मेहता को नियुक्त किया है, जिन पर पिछले साल भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लग चुके हैं।अशोक कुमार मेहता 2021-24 तक सीईटी के स्टेट नोडल अफसर थे, लेकिन सितंबर 2024 में स्पेशल विजिलेंस यूनिट (एसवीयू) ने एलएनएमयू में 20 करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितताओं के मामले में उन्हें अभियुक्त बनाया था। इस मामले में तत्कालीन कुलपति समेत 16 अन्य अधिकारियों के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की गई थी।हालांकि, इसके बावजूद, 24 फरवरी 2025 को राजभवन ने एलएनएमयू को सीईटी के लिए नोडल यूनिवर्सिटी घोषित किया और 25 फरवरी को विश्वविद्यालय ने अधिसूचना जारी कर अशोक कुमार मेहता को फिर से स्टेट नोडल ऑफिसर नियुक्त कर दिया।
वीसी का बचाव- "चार्जशीट नहीं हुई तो दोषी कैसे
इस विवाद पर एलएनएमयू के कुलपति प्रो. संजय कुमार चौधरी से सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा,
"एफआईआर में नाम होना कोई बड़ी बात नहीं है। एफआईआर किसी के भी खिलाफ हो सकती है। चार्जशीट में नाम आया है या नहीं, पहले यह बताइए। जब तक चार्जशीट नहीं होती, कोई दोषी नहीं होता।"हालांकि, एसवीयू का कहना है कि यह मामला अभी भी जांच के अधीन है और चार्जशीट दाखिल नहीं की गई है।भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे अधिकारी की नियुक्ति कैसे हुई, इस पर जब रजिस्ट्रार डॉ. अजय कुमार पंडित से सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि जिस दिन यह नोटिफिकेशन जारी हुआ, वह उस दिन पटना हाईकोर्ट में थे।"मेरे हस्ताक्षर से यह आदेश जारी नहीं हुआ। उस समय प्रभारी प्रो. विजय कुमार यादव थे।"हालांकि, जब प्रो. यादव से पूछा गया, तो उन्होंने सीधे जवाब देने के बजाय कहा, "रजिस्ट्रार से ही बात कर लीजिए, मैं अधिकृत नहीं हूं।"एलएनएमयू में करोड़ों की गड़बड़ी के मामले में एफआईआर दर्ज होने के बावजूद कई अभियुक्त अब भी अपने पदों पर बने हुए हैं। इसको लेकर निगरानी विभाग ने 28 फरवरी को राज्यपाल सचिवालय के प्रधान सचिव को पत्र लिखा और इन अधिकारियों को पद से हटाने की मांग की। इस मामले में अब निगरानी विभाग और एसवीयू की अगली कार्रवाई पर सबकी नजरें टिकी है
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