चुनाव आयोग के दफ्तर के बाहर इंतजार करते रह गए अफसर, नहीं पहुंचे महागठबंधन के प्रतिनिधिमंडल
पटना। बिहार में विधानसभा चुनाव से चार महीने पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR) को लेकर विपक्षी महागठबंधन द्वारा बुलाए गए बिहार बंद का असर बुधवार को सड़कों, बाजार और परिवहन सेवाओं पर साफ नजर आया। राजधानी पटना में चुनाव आयोग के मुख्य दफ्तर के बाहर अधिकारी महागठबंधन के प्रतिनिधिमंडल का इंतजार करते रहे, लेकिन राहुल गांधी के भाषण के बाद महागठबंधन का मार्च वहीं खत्म हो गया और नेता-कार्यकर्ता लौट गए। विपक्षी दलों का कोई भी प्रतिनिधिमंडल आयोग के अधिकारियों से मुलाकात के लिए दफ्तर नहीं पहुंचा, जिसकी तैयारियों में अधिकारी लगे हुए थे।
बिहार बंद में शामिल होने के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी, सीपीआई नेता डी. राजा सहित कई बड़े नेता दिल्ली से पटना पहुंचे थे। पटना में आयकर गोलंबर पर तेजस्वी यादव, दीपांकर भट्टाचार्य, मुकेश सहनी, राजेश कुमार, अखिलेश प्रसाद सिंह समेत विपक्ष के कई बड़े नेता एक खुले ट्रक पर सवार होकर कार्यकर्ताओं के साथ मार्च पर निकले। मार्च को पुलिस ने शहीद स्मारक के पास रोक दिया। यहीं पर मंच से सभी नेताओं ने कार्यकर्ताओं को संबोधित किया और आरोप लगाया कि चुनाव आयोग भाजपा के इशारे पर मतदाता सूची से लोगों के नाम हटाने की साजिश कर रहा है।
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