पटना: गांधी मैदान में ऐतिहासिक ‘सनातन महाकुंभ’, देशभर के संतों-साधुओं और लाखों श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़

पटना: गांधी मैदान में ऐतिहासिक ‘सनातन महाकुंभ’, देशभर के संतों-साधुओं और लाखों श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़

पटना। राजधानी पटना के गांधी मैदान में ‘सनातन महाकुंभ’ का भव्य आयोजन किया गया। यह आयोजन सनातन धर्म, भारतीय संस्कृति और अध्यात्म का विराट संगम साबित हुआ, जिसमें देशभर से प्रमुख संत-महामंडलेश्वर, धर्माचार्य और श्रद्धालु शामिल हुए। आयोजन का उद्देश्य सनातन संस्कृति का पुनर्जागरण, राष्ट्रीय एकता और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देना रहा। पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे, जो श्रीराम कर्मभूमि न्यास के संस्थापक भी हैं, इस महाकुंभ के प्रमुख संरक्षक हैं। उन्होंने पूरे बिहार में रथ यात्रा निकालकर इस आयोजन का न्योता लोगों को दिया था। चौबे ने कहा कि यह आयोजन बिहार को सनातन धर्म के केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में बड़ा कदम है।

बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की उपस्थिति इस आयोजन का सबसे बड़ा केंद्र रही। उन्होंने गांधी मैदान में ‘हनुमत संवाद’ के तहत जनसभा को संबोधित किया और ‘हिंदू राष्ट्र’ के लिए संकल्प लेने की बात कही। उन्होंने श्रद्धालुओं के साथ हनुमान चालीसा का सामूहिक पाठ भी किया। हालांकि, जिला प्रशासन ने दरबार लगाने की अनुमति नहीं दी, पर बाबा बागेश्वर की सिर्फ दो घंटे की मौजूदगी में ही हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। इस आयोजन की अध्यक्षता जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी ने की। उनके साथ-साथ विशाखापट्टनम के स्वरूपानंद सरस्वती, परमहंस ज्ञानानंद जी, महामंडलेश्वर अरुण अवधूत गिरी, कैलासनंद गिरी, यतींद्रानंद गिरी समेत अनेक प्रमुख संतों की उपस्थिति ने आयोजन को एक आध्यात्मिक महायज्ञ का स्वरूप दे दिया।

राजनीतिक दृष्टिकोण से भी यह आयोजन खास रहा। राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा इस महाकुंभ में शामिल हुए। वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी निमंत्रण भेजा गया है। बिहार के राज्यपाल डॉ. आरिफ मोहम्मद खान ने आयोजन का औपचारिक उद्घाटन किया। यह महाकुंभ भगवान परशुराम जन्मोत्सव के समापन पर आयोजित किया गया। इस दौरान हनुमान चालीसा, परशुराम चालीसा, वैदिक मंत्रोच्चार, हवन, भजन-कीर्तन और 108 गांवों से लाए गए अस्त्र-शस्त्र और शंखों की पूजा की गई।

गांधी मैदान में जर्मन टेक्नोलॉजी से तैयार तीन विशाल टेंट लगाए गए, जिनमें 50 हजार लोगों के बैठने की व्यवस्था की गई। आयोजन में एक लाख से अधिक श्रद्धालुओं के शामिल होने का अनुमान है। 2,500 पुलिसकर्मी, 1,000 से अधिक स्वयंसेवक, सीसीटीवी निगरानी, ड्रोन से निगरानी, मेडिकल कैंप, पेयजल व्यवस्था, और सुरक्षा चक्र के तहत संपूर्ण मैदान को किले में तब्दील कर दिया गया।

‘सनातन महाकुंभ’ बिहार के धार्मिक इतिहास में एक ऐतिहासिक अध्याय बन गया। यह आयोजन धर्म, संस्कृति, सामाजिक समरसता और राष्ट्र प्रेम का अद्भुत उदाहरण है। जैसे-जैसे बोल बम, हर-हर महादेव और जय श्रीराम के नारे गूंजते रहे, पूरा गांधी मैदान एक जीवंत तीर्थभूमि का रूप ले चुका था।

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BIHAR - JHARKHAND