पटना: भूमिगत जल स्तर में गिरावट, गांधी मैदान क्षेत्र की स्थिति सबसे गंभीर
शहरी। क्षेत्र में अनियंत्रित तरीके से भूमिगत जल का दोहन किया जा रहा है, जिससे पटना के कई इलाकों में भू-जल स्तर खतरनाक रूप से नीचे चला गया है। केन्द्रीय भूमि जल बोर्ड और लघु जल संसाधन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, पटना के गांधी मैदान, बोरिंग रोड, सर्किट हाउस और कंकड़बाग क्षेत्र में भूमिगत जल का स्तर अन्य स्थानों की तुलना में काफी नीचे चला गया है।रिपोर्ट के अनुसार, गांधी मैदान इलाके में भू-जल स्तर सबसे नीचे 13.780 मीटर पर पहुंच गया है, जो बेहद चिंताजनक है। वहीं, सर्किट हाउस क्षेत्र में 13.350 मीटर, एएन कॉलेज के पास 11.730 मीटर, अनीसाबाद में 11.40 मीटर और पुनपुन में 8.95 मीटर पर पानी मिल रहा है।विशेषज्ञों के अनुसार, इन इलाकों में जितना जल निकाला जा रहा है, उसकी तुलना में पुनर्भरण (Recharge) नहीं हो रहा है, जिससे स्थिति लगातार गंभीर होती जा रही है।बिहार में कुल 30.95 बिलियन क्यूबिक मीटर भूमिगत जल उपलब्ध है, लेकिन फिलहाल 14.10 बिलियन क्यूबिक मीटर जल का ही उपयोग किया जा रहा है। इसमें से:90% (10.21 बिलियन क्यूबिक मीटर) सिंचाई के लिए3.48 बिलियन क्यूबिक मीटर घरेलू कार्यों केलिए0.4 बिलियन क्यूबिक मीटर औद्योगिक उपयोग के लिए
भूजल स्तर गिरने वाले जिले और इलाके
राज्य में कुछ जिले और इलाके ऐसे हैं जहां भू-जल स्तर लगातार नीचे गिर रहा है। इनमें प्रमुख रूप से मुजफ्फरपुर, नालंदा, नवादा, पटना, रोहतास, समस्तीपुर, वारिसनगर, शेखपुरा और वैशाली शामिल हैं।गांधी मैदान – 13.780सर्किट हाउस – 13.350बोरिंग रोड – 11.730कंकड़बाग – 12.250पटना शहरी क्षेत्र में भू-जल का अत्यधिक दोहन हो रहा है। निजी बोरिंग के साथ-साथ नगर निगम भी उच्च क्षमता वाले बोरिंग कराकर शहर में जल आपूर्ति कर रहा है। बढ़ती आबादी और बढ़ती जल खपत के कारण स्थिति गंभीर होती जा रही है।राज्य में कुछ प्रखंड ऐसे हैं जहां जल का अत्यधिक दोहन हो रहा है, जिनमें शामिल हैं:जहानाबाद का रफीफरीदपुर और काकोनालंदा का नगरनौसापटना शहरी क्षेत्रविशेषज्ञों का कहना है कि अगर भू-जल स्तर को नियंत्रित नहीं किया गया, तो आने वाले वर्षों में स्थिति और गंभीर हो सकती है। जल संचयन, वर्षा जल संरक्षण और भू-जल पुनर्भरण की दिशा में ठोस प्रयास करने की जरूरत है, ताकि भविष्य में जल संकट को टाला जा सके
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