पटना: बिहार चुनाव को लेकर महागठबंधन की दूसरी बैठक , सीट बंटवारे पर मंथन
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर विपक्षी महागठबंधन की दूसरी महत्वपूर्ण बैठक गुरुवार 24 अप्रैल को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय, पटना में आयोजित की गई। बैठक में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) नेता तेजस्वी यादव सहित कांग्रेस, वाम दलों—सीपीआई, सीपीएम, सीपीआई (माले)—और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख मुकेश सहनी ने हिस्सा लिया।
बैठक की शुरुआत जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में मारे गए निर्दोष लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए दो मिनट का मौन रखकर की गई। सभी नेताओं ने आतंकी हमले की कड़ी निंदा की और शोकसंतप्त परिवारों के प्रति संवेदना जताई।
इस बैठक में आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर महागठबंधन की प्रचार रणनीति, सीट शेयरिंग और साझा एजेंडे को लेकर गहन चर्चा हुई। संभावना है कि महागठबंधन की ओर से एक समन्वय समिति द्वारा ही सभी राजनीतिक फैसले लिए जाएंगे, जिसकी घोषणा पिछली बैठक में की गई थी। इस कमिटी के अध्यक्ष तेजस्वी यादव हैं और इसमें हर दल से दो-दो प्रतिनिधियों को शामिल किया गया है।
बैठक के बाद आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह जानकारी दी गई कि सभी दलों के बीच विचार-विमर्श सकारात्मक रहा और जल्द ही सीट बंटवारे को लेकर अंतिम निर्णय ले लिया जाएगा। चर्चा है कि महागठबंधन का मुख्य चेहरा तेजस्वी यादव ही होंगे और वे मुख्यमंत्री पद के दावेदार के रूप में चुनाव प्रचार की कमान संभालेंगे।
बैठक में कांग्रेस की ओर से प्रदेश प्रभारी कृष्णा अल्लावरु, प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम, और विधानमंडल दल के नेता शकील अहमद मौजूद रहे। वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी की उपस्थिति को महागठबंधन में ओबीसी-ईबीसी वर्गों के वोट बैंक के लिए अहम माना जा रहा है।
पिछली बैठक आरजेडी कार्यालय में आयोजित की गई थी जिसमें समन्वय समिति गठन के साथ ही यह तय हुआ था कि महागठबंधन पूरे राज्य में एकजुट होकर भाजपा-जेडीयू गठबंधन को चुनौती देगा।
राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा भी जोरों पर है कि लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान को लेकर एनडीए और महागठबंधन दोनों ही रणनीति बना रहे हैं। लोजपा-आर की ओर से विधानसभा चुनाव लड़ने की मांग और मुख्यमंत्री पद की दावेदारी की अटकलें राजनीतिक समीकरणों को और दिलचस्प बना रही हैं।
महागठबंधन की इस बैठक के बाद अब नजरें इस बात पर टिकी हैं कि कौन कितनी सीटों पर लड़ेगा और कब तक इसका औपचारिक ऐलान किया जाएगा। फिलहाल विपक्ष ने एकजुटता का संदेश देने की कोशिश की है, लेकिन जमीन पर गठबंधन की मजबूती और मतदाताओं तक उसकी पहुंच क्या असर दि
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