सासाराम : रेलवे स्टेशन पर 'ऑपरेशन आहट' के तहत 8 नाबालिग बाल मजदूरों को तस्करों से कराया गया मुक्त
सासाराम। बिहार के सासाराम रेलवे स्टेशन पर एक बार फिर से मानवता को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है, जहां आठ मासूम नाबालिग बच्चों को बाल श्रम के लिए तस्करों द्वारा महाराष्ट्र ले जाया जा रहा था। लेकिन समय रहते रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (आरपीएफ) और बचपन बचाओ आंदोलन की संयुक्त टीम ने बड़ी कार्रवाई करते हुए इन बच्चों को तस्करों के चंगुल से सुरक्षित मुक्त करा लिया। यह कार्रवाई 'ऑपरेशन आहट' के तहत की गई, जो लगातार मानव तस्करी के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान का हिस्सा है।
आरपीएफ निरीक्षक संजीव कुमार के नेतृत्व में यह कार्रवाई सासाराम रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म संख्या 2 पर की गई, जहां ट्रेन संख्या 12321 अप मुंबई मेल से आठ नाबालिग बच्चे यात्रा कर रहे थे। जांच के दौरान पाया गया कि ये सभी बच्चे झारखंड के पलामू जिले के रहने वाले हैं और उन्हें नासिक की चूड़ी फैक्ट्री में काम करने के लिए ले जाया जा रहा था। मुक्त कराए गए बच्चों की उम्र मात्र 9 से 13 साल के बीच है, जो उन्हें बाल श्रम के लिए तस्करों द्वारा धोखे से बहला-फुसलाकर लाया गया था।
इस अभियान के दौरान आरपीएफ ने दो तस्करों— सोनू कुमार और महादेव यादव, जो गया जिले के निवासी हैं—को गिरफ्तार कर लिया है। पूछताछ में दोनों तस्करों ने कबूल किया कि उन्हें प्रति बच्चा ₹10,000 महीने की मजदूरी दिलाने का वादा मिला था और बच्चों से नासिक की फैक्ट्रियों में चूड़ियों के साथ-साथ प्लास्टिक के डिस्पोजल गिलास बनाने जैसे कार्य कराए जाने थे। यह पूरी प्रक्रिया बाल अधिकारों का उल्लंघन है और बच्चों के भविष्य को अंधेरे में ढकेलने वाला अपराध है।
मुक्त कराए गए सभी आठ बच्चों को तत्काल चाइल्ड हेल्पलाइन को सूचित कर बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) सासाराम के समक्ष प्रस्तुत किया गया, जहां उनके सुरक्षित रहने की व्यवस्था की गई है। साथ ही उन्हें उनके परिजनों तक पहुंचाने की प्रक्रिया भी शुरू की जा चुकी है।
आरपीएफ निरीक्षक संजीव कुमार ने कहा, “ऑपरेशन आहट के तहत हमारी टीम लगातार मानव तस्करी और बाल श्रम के खिलाफ सतर्कता से काम कर रही है। इस तरह के मामलों में हम न सिर्फ बच्चों को बचा रहे हैं, बल्कि उनके परिवारों को भी एक नया जीवन देने की दिशा में काम कर रहे हैं।
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