उपेंद्र कुशवाहा की बिहार यात्रा: शाहाबाद में राजनीतिक मजबूती की कोशिश, 5 जिलों में घूमेंगे

उपेंद्र कुशवाहा की बिहार यात्रा: शाहाबाद में राजनीतिक मजबूती की कोशिश, 5 जिलों में घूमेंगे

पटना। लोकसभा चुनाव से पहले बिहार में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। उपेंद्र कुशवाहा ने बुधवार को अपनी बहुप्रतीक्षित बिहार यात्रा की शुरुआत की। यह यात्रा पांच दिनों तक चलेगी और मुख्य रूप से शाहाबाद क्षेत्र के पांच जिलों को कवर करेगी। कुशवाहा की यह यात्रा एनडीए गठबंधन के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि उनका उद्देश्य शाहाबाद के राजनीतिक समीकरणों को फिर से अपने पक्ष में मोड़ना है। शाहाबाद क्षेत्र में भोजपुर, रोहतास, कैमूर, बक्सर जैसे प्रमुख जिले आते हैं, जिनमें कुल 22 विधानसभा सीटें हैं। यही वो इलाका है, जहां 2019 के लोकसभा चुनाव में महागठबंधन के दो कुशवाहा उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की थी। इस जीत ने एनडीए की रणनीति को प्रभावित किया था, और अब बीजेपी इस क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए उपेंद्र कुशवाहा पर दांव लगा रही है।

कुशवाहा का 5 दिवसीय यात्रा कार्यक्रम

अपनी यात्रा की शुरुआत करते हुए कुशवाहा सबसे पहले अरवल जिले के कुर्था पहुंचे, जहां उन्होंने कुशवाहा समुदाय के महान नेता जगदेव प्रसाद के शहादत स्थल पर श्रद्धांजलि अर्पित की। यहीं से उन्होंने अपनी यात्रा की शुरुआत की, जो अगले पांच दिनों तक शाहाबाद के पांच जिलों में चलेगी। कुशवाहा इस यात्रा के जरिए जनता से सीधे संवाद करेंगे और उन्हें एनडीए के समर्थन में लाने की कोशिश करेंगे। कुशवाहा की इस यात्रा को उनके राजनीतिक करियर के महत्वपूर्ण पड़ाव के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि 2020 के विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव में शाहाबाद से एनडीए को करारी हार का सामना करना पड़ा था। खुद उपेंद्र कुशवाहा भी काराकाट से लोकसभा चुनाव हार गए थे, जबकि आरा से आरके सिंह और औरंगाबाद से सुशील सिंह जैसे कद्दावर नेताओं को भी हार झेलनी पड़ी थी। यहां तक कि बक्सर जैसी सुरक्षित सीट पर भी बीजेपी अपनी जीत दर्ज नहीं कर पाई थी।

शाहाबाद में कुशवाहा के लिए लिटमस टेस्ट

शाहाबाद का इलाका कुशवाहा के लिए एक लिटमस टेस्ट बन चुका है। यहां 2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए का लगभग सफाया हो गया था। महागठबंधन ने कुशवाहा समुदाय के समर्थन से इस इलाके में जबरदस्त प्रदर्शन किया था। औरंगाबाद से अभय कुशवाहा और काराकाट से राजाराम सिंह महागठबंधन के टिकट पर जीतकर संसद पहुंचे थे। अब बीजेपी को उम्मीद है कि उपेंद्र कुशवाहा इस इलाके में अपने प्रभाव से एनडीए को दोबारा मजबूत करेंगे।

लालू-तेजस्वी का कुशवाहा कार्ड सफल

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि शाहाबाद में एनडीए की हार का प्रमुख कारण कुशवाहा समुदाय का महागठबंधन के साथ आना रहा। लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव ने इस इलाके में यादव-कुशवाहा गठजोड़ को बखूबी साधा। यही वजह है कि तेजस्वी यादव ने 'यादव-कुशवाहा भाई-भाई' का नारा दिया, जिससे इस इलाके में महागठबंधन की जीत सुनिश्चित हुई। अब महागठबंधन की नजर इस क्षेत्र को किसी भी कीमत पर खोने की नहीं है, इसलिए लालू और तेजस्वी यहां कुशवाहा समुदाय को अपने साथ बनाए रखने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।

कुशवाहा की विरासत बचाओ यात्रा

इससे पहले भी उपेंद्र कुशवाहा ने 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले 'विरासत बचाओ यात्रा' निकाली थी, जिसमें उन्होंने 16 दिनों में 17 से अधिक जिलों का दौरा किया था। उस यात्रा का उन्हें एनडीए गठबंधन के रूप में कुछ फायदा मिला था, लेकिन चुनावी परिणामों में इसका ज्यादा असर नहीं दिखा। कुशवाहा काराकाट सीट बचाने में नाकाम रहे थे, लेकिन उन्होंने अपने नए संगठन को मजबूत करने में सफलता पाई थी। इस बार भी कुशवाहा का लक्ष्य अपनी बिहार यात्रा के दौरान संगठन के सदस्यों को जोड़ना है और उन्हें एनडीए के समर्थन में लामबंद करना है। उपेंद्र कुशवाहा की यह यात्रा उनके राजनीतिक करियर और एनडीए की चुनावी रणनीति दोनों के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। शाहाबाद के राजनीतिक समीकरणों को फिर से साधने की कोशिश में कुशवाहा ने जो यात्रा शुरू की है, वह आने वाले लोकसभा चुनावों में उनके और एनडीए के लिए निर्णायक साबित हो सकती है।

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BIHAR - JHARKHAND