छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में 27 नक्सलियों का एनकाउंट डेढ़ करोड़ का इनामी नक्सली ढेर, 20 शव और हथियार बरामद

छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में 27 नक्सलियों का एनकाउंट डेढ़ करोड़ का इनामी नक्सली ढेर, 20 शव और हथियार बरामद

नारायणपुर। छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में नक्सल मोर्चे पर सुरक्षाबलों को एक और बड़ी सफलता मिली है। बुधवार सुबह अबूझमाड़ के घने जंगलों में पुलिस और नक्सलियों के बीच हुई भीषण मुठभेड़ में 27 नक्सली मारे गए, जिनमें नक्सल संगठन का शीर्ष नेता और 1.5 करोड़ रुपये का इनामी पोलित ब्यूरो सदस्य बसवा राजू भी शामिल है। अब तक 20 नक्सलियों के शव और भारी मात्रा में हथियार बरामद किए जा चुके हैं, जबकि शेष नक्सलियों के शवों की तलाश के लिए जंगल में सर्च ऑपरेशन जारी है।

यह मुठभेड़ नारायणपुर, दंतेवाड़ा और बीजापुर जिलों की सीमाओं से लगे अबूझमाड़ के बोटेर इलाके में हुई। इन इलाकों को लंबे समय से नक्सलियों का गढ़ माना जाता रहा है और यह क्षेत्र पुलिस के लिए हमेशा से चुनौतीपूर्ण रहा है। पुलिस को खुफिया सूचना मिली थी कि नक्सल महासचिव बसवा राजू अपने दस्ते के साथ बोटेर इलाके में मौजूद है। इस सूचना के आधार पर सुरक्षा बलों की एक संयुक्त टुकड़ी को रवाना किया गया। जैसे ही जवान जंगल में पहुंचे, घात लगाए बैठे नक्सलियों ने गोलीबारी शुरू कर दी, जिसके बाद जवाबी कार्रवाई में यह बड़ी सफलता मिली।

बसवा राजू, जो नक्सल संगठन की केंद्रीय समिति का सदस्य था, लंबे समय से छत्तीसगढ़, तेलंगाना, ओडिशा और महाराष्ट्र में सक्रिय था। उस पर केंद्र और राज्य सरकार की ओर से 1.5 करोड़ रुपये का इनाम घोषित था। बसवा राजू को नक्सल आंदोलन की रणनीति, हथियारों की सप्लाई और विदेशी नेटवर्क से संपर्क के लिए जाना जाता था। उसकी मौत नक्सलियों के नेटवर्क के लिए एक बड़ी क्षति मानी जा रही है। प्रदेश के गृहमंत्री विजय शर्मा ने मुठभेड़ की पुष्टि करते हुए बताया कि मुठभेड़ के दौरान एक जवान घायल हुआ है, जिसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है और उसकी हालत अब खतरे से बाहर है।

इस मुठभेड़ से ठीक सात दिन पहले ही कर्रेगुट्टा ऑपरेशन में 31 नक्सली मारे गए थे, जिसमें 16 महिलाएं और 15 पुरुष शामिल थे। वह ऑपरेशन 24 दिनों तक चला था और छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर हुआ था। अबूझमाड़ की कार्रवाई के साथ ही सिर्फ एक सप्ताह के भीतर कुल 58 नक्सलियों का सफाया हो चुका है, जिसे सुरक्षाबलों की अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक माना जा रहा है।

विशेषज्ञों के अनुसार, बसवा राजू जैसे बड़े नेता का मारा जाना नक्सल आंदोलन के लिए काफी बड़ा रणनीतिक और मनोवैज्ञानिक झटका है। पिछले कुछ महीनों से सुरक्षाबलों की आक्रामक रणनीति, तकनीकी सहायता और गुप्त सूचनाओं की सफलता के चलते नक्सली लगातार कमजोर पड़ते दिख रहे हैं। फिलहाल, मुठभेड़ स्थल पर सीमा सुरक्षा बल, जिला पुलिस और सीआरपीएफ की टीमें सर्च ऑपरेशन में जुटी हैं। इलाके में अभी भी हथियार, दस्तावेज और अन्य साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं। अधिकारियों के अनुसार, मारे गए नक्सलियों की पहचान की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।

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BIHAR - JHARKHAND