दिल्ली: RBI ने घटाया रेपो रेट, लोन और EMI होंगे सस्ते, रियल एस्टेट में बढ़ेगी रौनक
मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने आज 9 अप्रैल को नई मौद्रिक नीति (Monetary Policy) की घोषणा करते हुए रेपो रेट में 0.25% की कटौती कर दी है। अब रेपो रेट 6.50% से घटकर 6% हो गया है। इसका सीधा फायदा आम लोगों को मिलेगा, क्योंकि अब बैंक लोन सस्ते कर सकते हैं और लोगों की EMI भी घटेगी। ये घोषणा आज सुबह 10 बजे RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने की। आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की यह पहली बैठक 7 अप्रैल से शुरू हुई थी और आज 9 अप्रैल को इसके नतीजे सार्वजनिक किए गए। इससे पहले भी इस साल फरवरी में RBI ने रेपो रेट में 0.25% की कटौती की थी, जिससे ब्याज दर 6.50% से घटकर 6.25% हो गई थी। अब एक बार फिर इसमें कमी की गई है।
रेपो रेट में कटौती का क्या मतलब है?
RBI जब रेपो रेट घटाता है, तो इसका मतलब होता है कि बैंकों को आरबीआई से कम ब्याज दर पर कर्ज मिलेगा। इससे बैंक हाउसिंग लोन, ऑटो लोन और अन्य तरह के कर्ज पर ब्याज दरें घटा सकते हैं। नतीजतन, लोगों की ईएमआई घटेगी और लोन लेना सस्ता हो जाएगा। इससे बाजार में मांग बढ़ेगी, खासकर रियल एस्टेट जैसे सेक्टर में।
रियल एस्टेट सेक्टर को मिलेगी राहत
विशेषज्ञों के अनुसार, रेपो रेट में यह कटौती रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए सकारात्मक संकेत है। हाउसिंग लोन सस्ते होने से आम लोग घर खरीदने की ओर आकर्षित होंगे और निर्माण कार्यों में तेजी आ सकती है। इससे रियल एस्टेट के साथ-साथ इससे जुड़े अन्य उद्योगों को भी गति मिलेगी।
रेपो रेट क्या है?
रेपो रेट वह ब्याज दर है, जिस पर बैंक RBI से कर्ज लेते हैं। जब RBI रेपो रेट घटाता है, तो बैंक भी कर्ज सस्ते दरों पर ग्राहकों को देने लगते हैं। इससे आम उपभोक्ताओं को राहत मिलती है, खासकर जब वे होम लोन या कार लोन लेना चाहते हैं।
RBI रेपो रेट क्यों बढ़ाता या घटाता है?
रेपो रेट को RBI महंगाई और आर्थिक स्थिति को नियंत्रित करने के लिए बढ़ाता या घटाता है। जब महंगाई अधिक होती है, तो RBI रेपो रेट बढ़ाकर इकोनॉमी में नकदी की आपूर्ति को नियंत्रित करता है। वहीं जब आर्थिक विकास धीमा होता है, तो मांग को बढ़ावा देने के लिए रेपो रेट घटाया जाता है ताकि लोगों को सस्ते लोन मिलें और खर्च बढ़े।
हर दो महीने में होती है मॉनेटरी पॉलिसी मीटिंग
RBI की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी में 6 सदस्य होते हैं, जिनमें से 3 सदस्य RBI के और 3 केंद्र सरकार द्वारा नामित होते हैं। इस समिति की बैठक हर दो महीने में होती है। वित्त वर्ष 2025-26 के लिए कुल 6 बैठकों का शेड्यूल जारी किया गया है। पहली बैठक 7 अप्रैल से शुरू होकर 9 अप्रैल तक चली। अब देखना यह होगा कि बैंक इस रेपो रेट कटौती का लाभ ग्राहकों को किस हद तक पहुंचाते हैं और आने वाले समय में बाजार में कितनी हलचल देखने को मिलती है। आम जनता के लिए यह खबर राहत भरी जरूर है।
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