कर्तव्यम् कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति ने संविधान और लोकतंत्र में नागरिकों की भूमिका को बताया अहम
दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को दिल्ली विश्वविद्यालय में भारतीय संविधान के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम ‘कर्तव्यम्’ में भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि लोकतंत्र केवल शासन की व्यवस्था नहीं है, बल्कि इसमें हर नागरिक की सक्रिय भूमिका आवश्यक है। उन्होंने कहा, “संवैधानिक पद केवल औपचारिक नहीं होते, बल्कि प्रत्येक नागरिक की आवाज सर्वोपरि है।
डीयू के वाइस रीगल लॉज में आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने की। उपराष्ट्रपति ने अपने संबोधन में स्पष्ट किया कि संविधान में संसद से ऊपर किसी भी सत्ता की कल्पना नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि संसद सर्वोच्च संस्था है, और इसके माध्यम से नागरिक अपने प्रतिनिधियों को चुनकर उन्हें जवाबदेह बनाते हैं।
उन्होंने 1977 में लगे आपातकाल का उल्लेख करते हुए कहा कि उस समय जनता ने तत्कालीन प्रधानमंत्री को जवाबदेह ठहराया था। इससे यह सिद्ध होता है कि संविधान जनता का है, और इसकी रक्षा का दायित्व जनप्रतिनिधियों का है।
धनखड़ ने कहा कि लोकतंत्र केवल सरकार की व्यवस्था नहीं है, यह एक सहभागी प्रणाली है जिसमें कानून, संस्कृति और नैतिकता सभी शामिल होते हैं। उन्होंने कहा, “नागरिकता केवल एक स्थिति नहीं, एक सक्रिय जिम्मेदारी है।”
उन्होंने नागरिकों से आग्रह किया कि सही समय पर सही बात कहना आवश्यक है, अन्यथा इससे सकारात्मक शक्तियों को नुकसान पहुँच सकता है।
उपराष्ट्रपति ने युवाओं से पक्षपात से ऊपर उठकर विचारशील संवाद करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि “भारत का उदय निश्चित है, और हमें राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देते हुए विकसित राष्ट्र के निर्माण का संकल्प लेना चाहिए।”
इससे पहले उपराष्ट्रपति ने राज्यसभा इंटर्न के कार्यक्रम में न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के यहां से नकदी मिलने के मामले में एफआईआर न होने पर सवाल उठाया था। उन्होंने कहा कि जब यह एक संज्ञेय अपराध है, तो कानूनन एफआईआर दर्ज होना अनिवार्य है। केवल राष्ट्रपति और राज्यपाल को ही ऐसी स्थिति में छूट दी गई है।
उपराष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा राष्ट्रपति को निर्देश देने के हालिया फैसले पर असहमति जताई। उन्होंने कहा कि कोर्ट को संविधान की व्याख्या का अधिकार है, लेकिन राष्ट्रपति को कोई निर्देश देना संविधान सम्मत नहीं माना जा सकता। इस अवसर पर प्रो. योगेश सिंह, प्रो. बलराम पाणि, प्रकाश सिंह सहित कई अधिकारी, शिक्षक और छात्र उपस्थित रहे।
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