सीमापार आतंक पर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सटीक मार: पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर भारतीय वायुसेना की जवाबी कार्रवाई, 9 टारगेट ध्वस्त
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए बर्बर आतंकी हमले के बाद भारत ने कड़ा रुख अपनाते हुए पाकिस्तान में स्थित आतंकी ठिकानों पर सटीक और जिम्मेदार कार्रवाई की है। मंगलवार रात करीब 1:04 बजे से शुरू हुए इस सैन्य ऑपरेशन में भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान और पीओके में स्थित कुल 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। सेना के अनुसार, यह कार्रवाई 25 मिनट में पूरी की गई, जिसमें केवल 7 मिनट में सभी लक्ष्यों को नेस्तनाबूद कर दिया गया।
बुधवार सुबह 10:30 बजे आयोजित एक अभूतपूर्व प्रेस ब्रीफिंग में देश की सैन्य और कूटनीतिक रणनीति की झलक दिखाई दी। पहली बार किसी सैन्य ऑपरेशन की जानकारी सेना की कर्नल सोफिया कुरैशी और एयरफोर्स की विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने साझा की। साथ ही विदेश सचिव विक्रम मिस्री भी मंच पर मौजूद रहे।
विक्रम मिस्री ने कहा, “पहलगाम का हमला न केवल कायराना था, बल्कि इसके पीछे सांप्रदायिक तनाव फैलाने की साजिश भी थी। निर्दोष लोगों को उनके परिवारों के सामने मौत के घाट उतारा गया। यह आतंक का खुला संदेश था कि कश्मीर की बढ़ती शांति और पर्यटन को तोड़ा जाए।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह हमला पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन TRF (द रेजिस्टेंस फ्रंट) द्वारा किया गया, जो यूएन द्वारा प्रतिबंधित है और लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा हुआ है। TRF को एक कवर संगठन के रूप में प्रयोग कर सीमापार आतंकवाद को अंजाम दिया जा रहा है।
कर्नल सोफिया कुरैशी ने जानकारी दी कि यह ऑपरेशन मंगलवार रात 1:05 से लेकर 1:30 बजे के बीच संचालित हुआ। इसमें 9 चिन्हित आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया, जिनमें लॉन्च पैड्स, हथियार भंडारगृह, और ट्रेनिंग कैंप शामिल थे।
प्रमुख टारगेट्स:
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सवाई नाला (मुजफ्फराबाद): लश्कर का मुख्य ट्रेनिंग सेंटर, जहां सोनमर्ग, गुलमर्ग और पहलगाम हमलों के आतंकी तैयार हुए।
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सैयदना बिलाल कैंप: विस्फोटक और जंगल सर्वाइवल की ट्रेनिंग का अड्डा।
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गुरपुर कोटली (पीओके): पुंछ हमले में शामिल आतंकियों की ट्रेनिंग का केंद्र।
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सरजल कैंप (सियालकोट): पुलिस पर हमलों की तैयारी स्थल।
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महमूना जाया कैंप: हिजबुल का ठिकाना, जहां कठुआ हमले की साजिश रची गई थी।
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मरकज तैयबा (मुरीदके): वही स्थान जहां कसाब और हेडली को ट्रेनिंग मिली थी।
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मरकज सुभानअल्लाह (भावलपुर): जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय, जहां आतंकियों की भर्ती और ट्रेनिंग होती है।
कर्नल कुरैशी ने जोर देकर कहा कि इस पूरे ऑपरेशन में नागरिक आबादी या रिहायशी इलाकों को नुकसान नहीं पहुंचाया गया। सभी हमले विश्वसनीय खुफिया जानकारी के आधार पर किए गए और यह सुनिश्चित किया गया कि केवल आतंकी ठिकानों को ही लक्ष्य बनाया जाए।
प्रेस ब्रीफिंग के दौरान सेना ने 2 मिनट की वीडियो क्लिप भी जारी की, जिसमें देखा गया कि किस तरह सिर्फ 7 मिनट में 9 ठिकानों को पूरी तरह तबाह कर दिया गया। ऑपरेशन का नाम ‘ऑपरेशन सिंदूर’ रखा गया है, जो श्रद्धालुओं पर हुए हमलों के जवाब का प्रतीक है।
भारत सरकार ने इस कार्रवाई के जरिए स्पष्ट संकेत दिया है कि देश अब केवल प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि निवारक रणनीति पर भी काम कर रहा है। पाकिस्तान के आतंकी बुनियादी ढांचे को पनाह देना और फिर आतंकियों से पल्ला झाड़ना अब दुनिया के सामने बेनकाब हो गया है। संयुक्त राष्ट्र भी इस हमले के बाद कार्रवाई की आवश्यकता को स्वीकार कर चुका है, और भारत ने उसी कूटनीतिक व सैन्य अधिकार का प्रयोग किया है।
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