यूपी में ग्रीन हाइड्रोजन को पंख, जापान से सहयोग, 1.15 लाख करोड़ के निवेश की राह खुली
करीब 20,000 युवाओं को रोजगार मिलने की उम्मीद
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने पर्यावरण-संरक्षण और स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में एक बड़ा कदम उठाते हुए ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन को नई प्राथमिकता दी है। इस दिशा में राज्य सरकार जापान की मदद लेने जा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सलाहकार अवनीश कुमार अवस्थी के नेतृत्व में प्रदेश का एक प्रतिनिधिमंडल इसी माह के अंत तक जापान का दौरा करेगा। यह प्रतिनिधिमंडल वहां ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन की तकनीकी प्रक्रियाओं का अध्ययन करेगा और जापानी कंपनियों को उत्तर प्रदेश में निवेश के लिए आमंत्रित करेगा।
निवेश के प्रस्तावों की झड़ी
उत्तर प्रदेश में ग्रीन हाइड्रोजन क्षेत्र में अब तक 17 कंपनियों ने करीब 1.15 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव सरकार को सौंपे हैं। इस निवेश से प्रदेश में उर्वरक, रिफाइनरी और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में स्वच्छ ईंधन का उपयोग बढ़ेगा, जो परंपरागत रूप से बड़े प्रदूषण के लिए जिम्मेदार माने जाते हैं। उत्तर प्रदेश नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विकास अभिकरण (यूपीनेडा) के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक, शुरुआत में ग्रीन हाइड्रोजन का इस्तेमाल नाइट्रोजन उर्वरकों और रिफाइनरी उद्योगों में किया जाएगा। सरकार ने 2029 तक हर साल 1 मिलियन मीट्रिक टन ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन का महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया है।
रोजगार का बड़ा अवसर
ग्रीन हाइड्रोजन क्षेत्र के विस्तार से राज्य में करीब 20,000 युवाओं को रोजगार मिलने की उम्मीद है। सरकार इस क्षेत्र में निवेश को आकर्षित करने के लिए अपनी हाइड्रोजन नीति में भी कुछ अहम बदलावों पर विचार कर रही है। कई भारतीय और विदेशी कंपनियों ने यूपी में निवेश करने की इच्छा जताई है। यूनाइटेड किंगडम की ट्राफलगर स्कॉयर कैपिटल ने लखनऊ के निकट 10,000 टन प्रति वर्ष क्षमता का ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट लगाने की योजना बनाई है। वहीं, वेलस्पन ग्रुप ने बुलंदशहर में 40,000 करोड़ रुपये के निवेश से ग्रीन हाइड्रोजन और ग्रीन अमोनिया संयंत्र स्थापित करने की घोषणा की है। हाइजेनको ग्रीन एनर्जीज प्राइवेट लिमिटेड प्रयागराज में 16,000 करोड़ रुपये की लागत से 0.2 मिलियन टन सालाना क्षमता का ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन संयंत्र लगाएगी।
जापान के साथ साझेदारी
इस दिशा में जापान के साथ उत्तर प्रदेश की साझेदारी मजबूत होती दिख रही है। पिछले साल दिसंबर में जापान के यामानाशी प्रांत के गवर्नर कोतारो नागासाकी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी। इस दौरान ग्रीन हाइड्रोजन क्षेत्र में निवेश को लेकर दोनों पक्षों के बीच एक एमओयू पर हस्ताक्षर भी किए गए थे। प्रदेश सरकार का मानना है कि ग्रीन हाइड्रोजन पर फोकस से राज्य न केवल ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा, बल्कि उद्योगों में कार्बन उत्सर्जन भी घटेगा और प्रदेश को स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन के राष्ट्रीय मानचित्र पर प्रमुख स्थान दिलाएगा। इस महत्वाकांक्षी योजना पर देशभर की नजरें टिकी हैं, क्योंकि यह न केवल पर्यावरण के लिहाज से जरूरी है, बल्कि यह यूपी की अर्थव्यवस्था और युवाओं के रोजगार के लिए भी नई राह खोल रही है।
About The Author
