बेरोजगारी और महंगाई दोनों पर लगाम, छह वर्षों में CPI सबसे निचले स्तर पर: वित्त मंत्री
नई दिल्ली। देश की अर्थव्यवस्था को लेकर एक सकारात्मक तस्वीर पेश करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को लोकसभा में बताया कि भारत में बेरोजगारी और महंगाई – दोनों मोर्चों पर स्थिति में उल्लेखनीय सुधार आया है। उन्होंने कहा कि बीते छह वर्षों में जहां एक ओर बेरोजगारी दर घटकर आधे से भी कम रह गई है, वहीं खुदरा महंगाई दर (CPI) भी ऐतिहासिक गिरावट पर पहुंच गई है।
लोकसभा में लिखित उत्तर के ज़रिए वित्त मंत्री ने बताया कि देश में बेरोजगारी दर 6% से घटकर मात्र 3.2% रह गई है। यह बदलाव सरकार द्वारा रोजगार और आर्थिक स्थिरता को लेकर उठाए गए ठोस कदमों का परिणाम है। उन्होंने कहा कि 2025 की पहली तिमाही में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर औसतन 2.7% रही, जबकि जून 2025 में यह घटकर 2.1% तक पहुंच गई है – जो बीते छह वर्षों में सबसे कम आंकड़ा है।
वित्त मंत्री ने बताया कि रोजगार सृजन को प्रोत्साहन देने के लिए केंद्र सरकार ने कई योजनाएं लागू की हैं, जिनमें प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम, आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना, मनरेगा, शहरी और ग्रामीण आजीविका मिशन जैसी योजनाएं शामिल हैं। इसके साथ ही, 2025-26 के आम बजट में 'ग्रामीण समृद्धि और लचीलापन' नामक एक नई योजना की शुरुआत की गई है। इस योजना के तहत महिलाओं, युवाओं और सीमांत किसानों को कृषि क्षेत्र में तकनीकी प्रशिक्षण, निवेश और नवाचार के ज़रिए बेहतर रोजगार के अवसर दिए जाएंगे।
महंगाई को काबू में रखने के लिए सरकार ने खाद्य आपूर्ति श्रृंखला को दुरुस्त करने पर विशेष ध्यान दिया है। जरूरी खाद्य पदार्थों का बफर स्टॉक बढ़ाया गया है, खुले बाजार में अनाज की रणनीतिक बिक्री की गई है, आपूर्ति में कमी आने पर आयात को प्रोत्साहन और निर्यात पर रोक जैसे उपाय किए गए हैं। साथ ही भारत ब्रांड के अंतर्गत कम दरों पर आवश्यक वस्तुओं की खुदरा बिक्री और 81 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज वितरण जैसी योजनाएं भी लागू की गई हैं।
वित्त मंत्री ने यह भी बताया कि सरकार ने कर छूट की सीमा बढ़ाकर आम आदमी की क्रय शक्ति को भी मजबूती दी है। अब सालाना 12 लाख रुपये तक की आय (वेतनभोगियों के लिए 12.75 लाख रुपये तक) कर-मुक्त कर दी गई है, जिससे आम नागरिकों की जेब में अधिक पैसा बच रहा है, और आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहन मिल रहा है।
वित्त मंत्रालय की यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है, जब वैश्विक अर्थव्यवस्था कई चुनौतियों से जूझ रही है। इसके बावजूद भारत की वित्तीय स्थिति में आया यह स्थायित्व सरकार की आर्थिक नीतियों की सफलता की ओर संकेत करता है।
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