दिल्ली: जनवरी-जून के दौरान भारत में ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स में 30.8% की जोरदार वृद्धि

दिल्ली: जनवरी-जून के दौरान भारत में ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स में 30.8% की जोरदार वृद्धि

दिल्ली।  भारत के ऑफिस बाजार में इस साल की पहली छमाही (जनवरी-जून 2025) में वैश्विक क्षमता केंद्रों (GCCs) ने जबरदस्त तेजी दिखाई है। जेएलएल की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, जीसीसी का लीजिंग वॉल्यूम सालाना आधार पर 30.8 प्रतिशत बढ़कर 13.85 मिलियन वर्ग फीट तक पहुंच गया, जो किसी भी पिछले कैलेंडर वर्ष की तुलना में ज्यादा है। यह ट्रेंड पिछले साल की ही तरह जारी है, जब जीसीसी भारत के ऑफिस स्पेस में सबसे बड़े ऑक्यूपायर ग्रुप के रूप में उभरे थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि बीएफएसआई (बैंकिंग, फाइनेंशियल सर्विसेज और इंश्योरेंस) और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने इस ग्रोथ में सबसे बड़ी भूमिका निभाई, जो इस साल की पहली छमाही में कुल लीजिंग का 55.6 प्रतिशत हिस्सा रखते हैं।

 

भारत के ऑफिस बाजार में बेंगलुरु की चमक बरकरार है। रिपोर्ट बताती है कि बेंगलुरु अकेले ही जीसीसी की कुल मांग में 41 प्रतिशत का हिस्सा लिए हुए है। इस दौरान, टेक सेक्टर ने भी जोरदार प्रदर्शन करते हुए पहली छमाही में 30.3 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ सबसे ज्यादा ऑफिस स्पेस लीज पर लिया। इसके बाद फ्लेक्स स्पेस (17 प्रतिशत), बीएफएसआई (16.2 प्रतिशत) और मैन्युफैक्चरिंग (15 प्रतिशत) का स्थान रहा।

दूसरी तिमाही के आंकड़े और भी उत्साहजनक हैं, जहां टेक सेक्टर ने 30.8 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ लीजिंग में अग्रणी स्थान हासिल किया। खास बात यह रही कि इस तिमाही में कंसल्टिंग फर्मों ने सबसे ज्यादा नई जगहें लीं, जो इस क्षेत्र में बड़े मूवर्स के रूप में सामने आईं। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का ऑफिस बाजार वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं और बाधाओं के बावजूद बेहतरीन प्रदर्शन कर रहा है। ग्रॉस लीजिंग वॉल्यूम 2025 की पहली छमाही में बढ़कर 39.45 मिलियन वर्ग फीट पहुंच गया, जो पिछले साल के मुकाबले 17.6 प्रतिशत ज्यादा है।

जेएलएल इंडिया के चीफ इकोनॉमिस्ट और हेड ऑफ रिसर्च, डॉ. सामंतक दास ने कहा कि ग्लोबल ऑक्यूपायर्स का 61.5 प्रतिशत योगदान बाजार को एक नए रिकॉर्ड की ओर ले जा रहा है। यदि यही रफ्तार रही, तो साल के अंत तक भारतीय ऑफिस बाजार 80 मिलियन वर्ग फीट वार्षिक लीजिंग के आंकड़े को पार कर सकता है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि टॉप 7 शहरों में हर तिमाही औसतन 21 मिलियन वर्ग फीट नई सप्लाई हो रही है, जिससे भारत मल्टीनेशनल कंपनियों की वैश्विक रणनीतियों में एक अहम गंतव्य बन गया है।

दुनिया भर में जहां वर्कस्पेस सिकुड़ने का ट्रेंड दिख रहा है, वहीं भारत ने उल्टा रुख दिखाया है। नेट अब्सॉर्प्शन (कुल लीजिंग में से छोड़े गए स्पेस को घटाकर) पहली छमाही में 23.9 मिलियन वर्ग फीट पर पहुंच गया, जो किसी भी पिछली छमाही से ज्यादा है। डॉ. दास के मुताबिक, भारत के ऑफिस बाजार की यह मजबूती तकनीकी सेक्टर की रिकवरी, जीसीसी की आक्रामक रणनीतियों और बीएफएसआई की लगातार मजबूत मांग से संभव हुई है। जेएलएल की रिपोर्ट से साफ है कि भारत का ऑफिस मार्केट वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भी सबसे आकर्षक रियल एस्टेट डेस्टिनेशन बना हुआ है। तेज रफ्तार लीजिंग न सिर्फ रियल एस्टेट डेवलपर्स बल्कि निवेशकों के लिए भी बड़े मौके लेकर आ रही है।

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