संसद में विपक्ष ने उठाए ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम हमले पर सवाल, नड्डा ने कहा- हम चर्चा को तैयार
नई दिल्ली। संसद का मानसून सत्र शुरू होते ही पहले ही दिन से विपक्ष और सत्ता पक्ष आमने-सामने हैं। सोमवार 21 जुलाई को संसद की कार्यवाही के दौरान विपक्ष ने ऑपरेशन सिंदूर, पहलगाम आतंकी हमला, डोनाल्ड ट्रम्प के सीजफायर दावे और भारत-पाक संघर्ष विराम जैसे मुद्दों पर सरकार से जवाब की मांग की, जिससे दोनों सदनों में भारी हंगामा हुआ। लोकसभा को दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया। राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार से सवाल करते हुए कहा, "पहलगाम में हुए हमले के आतंकी अब तक न पकड़े गए हैं और न मारे गए। यहां तक कि जम्मू-कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर ने भी माना कि यह इंटेलिजेंस फेलियर था। ट्रम्प 24 बार कह चुके हैं कि हमने युद्ध रुकवाया। सरकार इन पर कब जवाब देगी? विपक्ष के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि सरकार किसी भी बहस से पीछे नहीं हटेगी। "देश में ऐसा संदेश नहीं जाना चाहिए कि हम चर्चा नहीं चाहते। हम पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर—दोनों मुद्दों पर पूरी पारदर्शिता से चर्चा करेंगे।
लोकसभा में हुए शोर-शराबे के बाद स्पीकर ओम बिरला ने विपक्ष को फटकार लगाई। उन्होंने कहा, "सरकार प्रश्नकाल के बाद ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा को तैयार है। लेकिन इस प्रकार का आचरण पहले दिन शोभा नहीं देता। हमें यह मिथक तोड़ना चाहिए कि सत्र का पहला दिन हंगामे के लिए होता है। मानसून सत्र से पहले विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A की अहम बैठक हुई, जिसमें ऑपरेशन सिंदूर, भारत-पाक सीजफायर, बिहार वोटर लिस्ट विवाद और अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के दावों को लेकर रणनीति बनाई गई। विपक्ष ने साफ कहा कि इन मुद्दों पर वह प्रधानमंत्री से प्रत्यक्ष जवाब चाहता है।
संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से 21 अगस्त तक चलेगा। इस दौरान कुल 32 दिन में 18 बैठकें निर्धारित की गई हैं। स्वतंत्रता दिवस की तैयारियों को ध्यान में रखते हुए 13-14 अगस्त को संसद की कार्यवाही नहीं होगी। सरकार इस सत्र में कुल 8 नए विधेयक पेश करेगी और 7 लंबित बिलों पर चर्चा होगी। जिन प्रमुख विधेयकों पर चर्चा की संभावना है उनमें मणिपुर GST संशोधन बिल 2025, नया इनकम टैक्स बिल और नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल शामिल हैं। मानसून सत्र के पहले ही दिन नया इनकम टैक्स बिल लोकसभा में प्रस्तुत किया गया, जिसे संसदीय कमेटी की मंजूरी मिल चुकी है। 622 पन्नों का यह बिल 1961 के आयकर अधिनियम की जगह लेगा। कमेटी ने इसपर 285 सुझाव दिए हैं।
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