दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ऐतिहासिक घाना यात्रा ने भारत और घाना के द्विपक्षीय रिश्तों को ‘व्यापक साझेदारी’ के एक नए आयाम तक पहुंचा दिया। यह यात्रा तीन दशकों के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली राजकीय यात्रा थी। घाना की राजधानी अकरा स्थित जुबिली हाउस में प्रधानमंत्री मोदी और घाना के राष्ट्रपति जॉन ड्रमानी महामा के बीच उच्चस्तरीय बैठक हुई, जिसके बाद दोनों नेताओं ने साझा प्रेस वक्तव्य जारी किया।
बैठक में व्यापार, निवेश, कृषि, स्वास्थ्य, डिजिटल प्रौद्योगिकी, रक्षा और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में सहयोग को नई गति देने पर सहमति बनी। भारत ने घाना को डिजिटल भुगतान प्रणाली (यूपीआई), जन औषधि योजना, कौशल विकास और वैक्सीन उत्पादन के क्षेत्र में अपना अनुभव साझा करने का प्रस्ताव दिया। साथ ही, भारत समर्थित आधारभूत संरचना परियोजनाओं को और सशक्त बनाने पर भी बल दिया गया।
वार्ता के दौरान सांस्कृतिक आदान-प्रदान, मानकीकरण में सहयोग, पारंपरिक चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान, तथा विदेश मंत्रालयों के बीच संयुक्त आयोग की बैठकें आयोजित करने को लेकर चार महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापनों का आदान-प्रदान हुआ। इन समझौतों को दोनों देशों के बीच सतत संवाद और सहयोग का मजबूत आधार माना जा रहा है।
इस ऐतिहासिक यात्रा के दौरान घाना सरकार ने प्रधानमंत्री मोदी को अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ऑफिसर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द स्टार ऑफ घाना’ से अलंकृत किया। प्रधानमंत्री मोदी ने इस सम्मान को भारत के 1.4 अरब नागरिकों और दोनों देशों के ऐतिहासिक संबंधों को समर्पित करते हुए कहा कि यह सम्मान भारत-घाना मित्रता को और मजबूत करने की जिम्मेदारी बढ़ाता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने घाना के राष्ट्रपति महामा के नेतृत्व में जारी ‘आर्थिक पुनर्गठन’ की सराहना की और घाना के ‘फीड घाना’ कार्यक्रम में सहयोग का भरोसा दिलाया। उन्होंने यह भी घोषणा की कि भारत घाना के लिए आईटेक और आईसीसीआर छात्रवृत्तियों की संख्या दोगुनी करेगा और वहां एक स्किल डिवेलपमेंट सेंटर की स्थापना करेगा। रक्षा क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा, साइबर सुरक्षा और सैनिक प्रशिक्षण के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर भी सहमति बनी।
भारत ने घाना को ग्लोबल बायोफ्यूल्स एलायंस में शामिल होने का निमंत्रण दिया और स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग की पेशकश की। दोनों देशों ने संयुक्त राष्ट्र में सुधार, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई और वैश्विक शांति एवं सतत विकास के लिए आपसी सहयोग को और मजबूत करने पर सहमति जताई।
प्रधानमंत्री मोदी ने घाना को पश्चिम अफ्रीका में “आशा की किरण” बताते हुए कहा कि भारत और घाना की मित्रता साझे मूल्यों और संघर्ष पर आधारित है। उन्होंने इस बात पर गर्व जताया कि भारत की जी-20 अध्यक्षता के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 की स्थायी सदस्यता मिली। प्रधानमंत्री ने घाना की ‘वॉइस ऑफ ग्लोबल साउथ’ समिट में सक्रिय भागीदारी की सराहना की और ग्लोबल साउथ की आवाज को बुलंद करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता दोहराई।
प्रधानमंत्री ने घाना में बसे भारतीय समुदाय के योगदान को भी विशेष रूप से रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि शिक्षक, डॉक्टर और इंजीनियर जैसे पेशेवर लंबे समय से घाना में सेवाएं दे रहे हैं और देश की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
यात्रा के अंत में प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति महामा को भारत आने का निमंत्रण दिया। उल्लेखनीय है कि भारत और घाना के संबंध औपनिवेशिक काल से ही ऐतिहासिक रहे हैं और भारत, घाना में रेलवे, आईसीटी, पारंपरिक चिकित्सा और औद्योगिक परियोजनाओं में निरंतर योगदान देता आ रहा है। प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा दोनों देशों के रिश्तों को एक नई ऊंचाई पर ले जाने के लिए मील का पत्थर मानी जा रही है।
