पीआरजीआई की बैठक में प्रकाशकों को मिली राहत, प्रसार जांच के नियम होंगे सरल
दिल्ली। आज पीआरजीआई (प्रेस रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया) के अपर महानिदेशक श्री धीरज काकड़िया के साथ देशभर से आए प्रकाशकों की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। यह बैठक एक घंटे से अधिक समय तक चली, जिसमें प्रकाशकों द्वारा उठाए गए विभिन्न मुद्दों और मांगों पर गंभीरता से चर्चा की गई। बैठक के दौरान अपर महानिदेशक धीरज काकड़िया ने बताया कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों तथा केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव के साथ इस विषय पर करीब 7-8 बार बैठकें आयोजित की गईं। अंतिम बैठक में प्रसार जांच (सर्कुलेशन ऑडिट) के एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) को सरल और व्यावहारिक बनाने का निर्णय लिया गया है।
दस्तावेजों की संख्या में बड़ी राहत
पहले प्रसार जांच के लिए 33 दस्तावेजों की अनिवार्यता थी, जिसे घटाकर अब मात्र 13 कर दिया गया है। अब कैश बुक, बैंक स्टेटमेंट, एजेंट लिस्ट जैसे जटिल और गैरजरूरी बिंदुओं को एसओपी से हटा दिया गया है। हालांकि, न्यूजप्रिंट की खरीद से संबंधित जीएसटी सहित बिल अभी भी अनिवार्य रहेगा। इसके अलावा बाकी सभी जटिल मांगों को समाप्त कर दिया गया है।
प्रमाणपत्र की वैधता दो वर्ष करने पर सहमति
हमारे संगठन की यह मांग रही थी कि प्रसार जांच प्रमाणपत्र की वैधता कम से कम दो वर्षों के लिए हो। इसे भी स्वीकार करते हुए अब प्रमाणपत्र की वैधता एक वर्ष से बढ़ाकर दो वर्ष करने का निर्णय लिया गया है, जो विशेष रूप से लघु और मध्यम वर्ग के समाचार पत्रों के लिए बड़ी राहत है।
न्यूज़प्रिंट विपत्र पर अभी बनी नहीं सहमति
न्यूज़प्रिंट विपत्र की मांग पर संगठन ने प्रस्ताव दिया कि इसकी अवधि को घटाकर दो से चार माह तक किया जाए, ताकि छोटे और मध्यम अखबारों पर अतिरिक्त बोझ न पड़े। हालांकि इस मुद्दे पर कोई ठोस सहमति नहीं बन सकी है। प्रकाशकों का कहना है कि इसके लिए आंदोलन जारी रहेगा और एक बार फिर मंत्री से मिलकर इस मुद्दे को उठाया जाएगा।
बैठक में शामिल रहे प्रमुख प्रकाशक
इस अवसर पर कई प्रमुख प्रकाशक उपस्थित रहे, जिनमें कमल किशोर, अशोक कुमार, श्रीराम अम्बष्ट, वेद प्रकाश, संजय पोद्दार, देवन राय, साकेत कुमार और कौस्तुभ किशोर शामिल थे।
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