RBI ने नहीं बदली ब्याज दरें: आपकी EMI में कोई बदलाव नहीं
दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एक बार फिर से रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की 4 से 6 अगस्त तक चली बैठक में सर्वसम्मति से ब्याज दरों को 5.5% पर स्थिर रखने का फैसला लिया गया है। इस फैसले का सीधा मतलब यह है कि बैंकों के लिए लोन की दरें नहीं बढ़ेंगी, जिससे आपके होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन की EMI पर कोई असर नहीं पड़ेगा। RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने आज इसकी जानकारी देते हुए कहा कि टैरिफ अनिश्चितता के कारण यह फैसला लिया गया है। रेपो रेट वह दर होती है जिस पर RBI कमर्शियल बैंकों को लोन देता है। इसमें कोई बदलाव न होने से बैंक भी अपनी ब्याज दरों को स्थिर रखेंगे।
इस साल तीन बार हुई थी कटौती
यह ध्यान देने वाली बात है कि इस साल की शुरुआत में RBI ने ब्याज दरों में तीन बार कटौती की थी, जिससे कुल 1% की कमी आई थी।फरवरी: 6.5% से घटाकर 6.25%,अप्रैल: 6.25% से घटाकर 6.00%, जून: 6.00% से घटाकर 5.50% इन कटौतियों के बाद जून से ब्याज दरें 5.5% पर बनी हुई हैं।
आर्थिक अनुमानों पर RBI का दृष्टिकोण
RBI ने वित्त वर्ष 2026 के लिए अपने आर्थिक अनुमानों को भी अपडेट किया है। GDP ग्रोथ का अनुमान: वित्त वर्ष 2026 के लिए GDP ग्रोथ का अनुमान 6.5% पर बरकरार रखा गया है। महंगाई का अनुमान: वित्त वर्ष 2026 के लिए महंगाई (Inflation) का अनुमान 3.7% से घटाकर 3.1% किया गया है, जो एक सकारात्मक संकेत है।
रेपो रेट का क्या महत्व है?
रेपो रेट किसी भी अर्थव्यवस्था में महंगाई और पैसे के फ्लो को नियंत्रित करने का एक महत्वपूर्ण टूल है।
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जब महंगाई ज्यादा होती है: RBI रेपो रेट बढ़ाता है, जिससे बैंकों के लिए लोन महंगा हो जाता है। बैंक ग्राहकों के लिए भी लोन महंगा कर देते हैं, जिससे बाजार में पैसे का फ्लो कम होता है। डिमांड में कमी आने से महंगाई घट जाती है।
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जब इकोनॉमी धीमी होती है: RBI रेपो रेट घटाता है, जिससे बैंकों और ग्राहकों दोनों के लिए लोन सस्ता हो जाता है। इससे बाजार में पैसे का फ्लो बढ़ता है, जिससे आर्थिक गतिविधियां तेज होती हैं और ग्रोथ को बढ़ावा मिलता है।
RBI की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी में कुल 6 सदस्य होते हैं, जिनमें से 3 RBI से और 3 केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किए जाते हैं। यह कमेटी हर दो महीने में बैठक करती है। इस वित्तीय वर्ष में कुल 6 बैठकें होनी हैं।
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