केंद्र ने पांच हाई कोर्ट के नए मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति की, चार चीफ जस्टिसों का तबादला भी किया

केंद्र ने पांच हाई कोर्ट के नए मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति की, चार चीफ जस्टिसों का तबादला भी किया

 दिल्ली। केंद्र सरकार ने 14 जुलाई को पांच हाई कोर्ट में नए मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति और चार हाई कोर्ट के चीफ जस्टिसों के तबादले को मंजूरी दी। यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम की सिफारिशों के आधार पर लिया गया है, जो मई 2025 में की गई थीं। नियुक्ति और तबादले से जुड़ी अधिसूचना भी विधिवत जारी कर दी गई है। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इस संबंध में जानकारी साझा करते हुए बताया कि भारत के संविधान द्वारा प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए, राष्ट्रपति ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के परामर्श से इन न्यायाधीशों की नियुक्ति और स्थानांतरण को स्वीकृति दी है।

नवीन नियुक्तियों के तहत जस्टिस संजीव सचदेवा को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया है। जस्टिस विभु बाखरू को कर्नाटक हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस नियुक्त किया गया है। इसी तरह, जस्टिस आशुतोष कुमार अब गुवाहाटी हाई कोर्ट की कमान संभालेंगे, जबकि जस्टिस विपुल मनुभाई पंचोली को पटना हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया है। वहीं, जस्टिस तरलोक सिंह चौहान को झारखंड हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस नियुक्त किया गया है। ये सभी न्यायाधीश अपने-अपने क्षेत्रों में अनुभवशील और उच्च न्यायिक क्षमता वाले माने जाते हैं। सरकार को उम्मीद है कि ये नियुक्तियां संबंधित हाई कोर्ट में न्यायिक प्रक्रिया को और अधिक मजबूत तथा प्रभावशाली बनाएंगी।

इसके साथ ही चार उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के तबादले भी किए गए हैं। जस्टिस मनिंद्र मोहन श्रीवास्तव, जो अभी तक राजस्थान हाई कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश के पद पर कार्यरत थे, उन्हें मद्रास हाई कोर्ट में ट्रांसफर किया गया है। जस्टिस अपरेश कुमार सिंह को त्रिपुरा हाई कोर्ट से तेलंगाना हाई कोर्ट स्थानांतरित किया गया है। वहीं, जस्टिस एमएस रामचंद्र राव, जो झारखंड हाई कोर्ट में पदस्थापित थे, अब त्रिपुरा हाई कोर्ट में अपनी सेवाएं देंगे। इसके अलावा, जस्टिस केआर श्रीराम को मद्रास हाई कोर्ट से राजस्थान हाई कोर्ट में स्थानांतरित किया गया है।

इन नियुक्तियों और स्थानांतरणों को न्यायिक प्रशासनिक संतुलन बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। कॉलेजियम द्वारा की गई सिफारिशों के अनुसार, इन बदलावों से न्यायिक कार्यों के संचालन में गति और प्रभावशीलता आने की संभावना है। न्यायपालिका में उच्चतम स्तर पर होने वाले ये बदलाव देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूती देने के लिए आवश्यक माने जाते हैं। नियुक्त न्यायाधीशों को शीघ्र ही अपने-अपने हाई कोर्ट में कार्यभार संभालने के निर्देश दिए गए हैं, जिससे लंबित मामलों के निष्पादन में तेजी लाने में मदद मिलेगी।

कानून मंत्रालय की ओर से जारी आधिकारिक अधिसूचना में यह स्पष्ट किया गया है कि यह प्रक्रिया पूरी तरह से संविधानिक प्रावधानों और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार पारदर्शिता के साथ की गई है। सरकार और न्यायपालिका दोनों यह सुनिश्चित करने की दिशा में प्रतिबद्ध हैं कि देश की अदालतें दक्ष, न्यायसंगत और समयबद्ध फैसले दे सकें। इस बदलाव से न्यायिक प्रणाली को मजबूती मिलेगी और नागरिकों का न्याय व्यवस्था पर भरोसा और गहराएगा।

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BIHAR - JHARKHAND