बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन रहेगा जारी : सुप्रीम कोर्ट
दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) पर फिलहाल रोक लगाने से इनकार कर दिया है। हालांकि अदालत ने इस मामले पर अपनी सुनवाई जारी रखने का फैसला किया है। अब अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी। गुरुवार को इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में करीब तीन घंटे तक बहस चली। याचिकाकर्ताओं की ओर से आरोप लगाया गया कि बिहार में वोटर लिस्ट का विशेष पुनरीक्षण नियमों को दरकिनार कर किया जा रहा है। उनका कहना है कि इस प्रक्रिया के तहत मतदाताओं की नागरिकता की जांच की जा रही है, जो कानूनन चुनाव आयोग का काम नहीं है।
सुनवाई के दौरान जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने चुनाव आयोग से पूछा आप बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण में नागरिकता के मुद्दे में क्यों पड़ रहे हैं? अगर आप वोटर लिस्ट में किसी व्यक्ति का नाम केवल देश की नागरिकता साबित होने के आधार पर शामिल करेंगे, तो यह बहुत बड़ी कसौटी होगी। यह गृह मंत्रालय का काम है। आप उसमें मत जाइए। कोर्ट ने साफ किया कि वोटर लिस्ट रिवीजन में आधार, वोटर आईडी और राशन कार्ड जैसे दस्तावेजों को पहचान के वैध दस्तावेज के रूप में स्वीकार किया जाए।
SIR के खिलाफ अदालत में कई राजनीतिक नेताओं और संगठनों ने याचिकाएं दाखिल की हैं। इनमें राजद सांसद मनोज झा, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा समेत कुल 11 याचिकाकर्ता शामिल हैं। याचिकाकर्ताओं की तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, गोपाल शंकर नारायण और अभिषेक मनु सिंघवी ने दलीलें पेश कीं। जबकि चुनाव आयोग की ओर से पूर्व अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल, वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी और मनिंदर सिंह ने पक्ष रखा। चुनाव आयोग ने अदालत में कहा कि वोटर लिस्ट का विशेष पुनरीक्षण पूरी तरह कानून के मुताबिक किया जा रहा है। आयोग का दावा है कि इसका मकसद मतदाता सूची को सही और अद्यतन करना है ताकि फर्जी वोटरों को हटाया जा सके।
गौरतलब है कि बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट का विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान चलाया जा रहा है। विपक्षी दलों का आरोप है कि इस प्रक्रिया में मतदाताओं की नागरिकता को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं, जिससे कई असली वोटरों को सूची से बाहर कर देने का खतरा है। याचिकाकर्ताओं ने मांग की है कि बिहार में वोटर लिस्ट का यह विशेष पुनरीक्षण रोक दिया जाए, ताकि मतदाताओं के अधिकार प्रभावित न हों। सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल पुनरीक्षण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है, लेकिन चुनाव आयोग को प्रक्रिया में पारदर्शिता और वैधानिकता बनाए रखने के निर्देश दिए हैं। अब पूरे देश की नजर 28 जुलाई की अगली सुनवाई पर टिकी है।
About The Author
