बजट में रक्षा क्षेत्र के लिए न्यायपूर्ण आवंटन: सुरक्षा और आत्मनिर्भरता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम

बजट में रक्षा क्षेत्र के लिए न्यायपूर्ण आवंटन: सुरक्षा और आत्मनिर्भरता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम

{आर.के. सिन्हा}  केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2024-25 का बजट प्रस्तुत करते हुए रक्षा क्षेत्र के लिए 4.54 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। यह बजट पेश करने का समय विशेष रूप से महत्व रखता है, क्योंकि इसे कारगिल विजय दिवस (26 जुलाई) से कुछ दिन पहले ही संसद में पेश किया गया। इस राशि की घोषणा भारत की सुरक्षा के प्रति सरकार की गंभीरता और प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

सुरक्षा की अनिवार्यता

भारत की रक्षा जरूरतें अत्यधिक हैं, विशेषकर पड़ोसी देशों चीन और पाकिस्तान के संदर्भ में। इन देशों के साथ भारत के कई युद्ध हो चुके हैं और पाकिस्तान ने आतंकवाद को बढ़ावा देने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। हाल ही में जम्मू में आतंकी गतिविधियों में वृद्धि को देखते हुए थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने जम्मू का दौरा किया और सुरक्षा की समीक्षा की। जम्मू क्षेत्र में इस साल हुए आतंकी हमलों में 11 सशस्त्र बल कर्मियों की मौत हुई है और पिछले महीने रियासी में एक बस पर हमले में 9 यात्रियों की जान चली गई थी। यह स्पष्ट है कि भारत की सुरक्षा चुनौतियाँ निरंतर बनी हुई हैं और इनका सामना करने के लिए पर्याप्त संसाधनों की आवश्यकता है।

रक्षा बजट की आवश्यकता

भारत को अपनी सुरक्षा क्षमताओं को मजबूत करने के लिए निरंतर बढ़ते रक्षा बजट की आवश्यकता है। चीन ने 1962 की जंग के बाद अक्साई चिन पर कब्जा कर लिया और अब अरुणाचल प्रदेश पर भी उसकी गिद्ध दृष्टि है। इसी प्रकार, पाकिस्तान ने कई बार भारत की सीमाओं को चुनौती दी है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का रक्षा बजट में वृद्धि का निर्णय भारत की सुरक्षा रणनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा है और इससे देश को इन चुनौतियों का सामना करने में मदद मिलेगी।

आत्मनिर्भरता की दिशा

भारत सरकार ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त, 2019 को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) पद की घोषणा की, जिसका उद्देश्य सशस्त्र बलों के बीच बेहतर तालमेल और समन्वय को बढ़ावा देना है। इसके अलावा, कारगिल युद्ध के अनुभवों से सीखते हुए, भारत ने अपने हथियारों और गोला-बारूद में आत्मनिर्भरता की दिशा में कई सुधार किए हैं।

स्वदेशी रक्षा उत्पादन

वर्तमान सरकार स्वदेशी रक्षा उपकरणों पर विश्वास करती है और यह मानती है कि देश की सुरक्षा के लिए घरेलू उद्योग की क्षमताओं का विकास आवश्यक है। भारत का रक्षा उत्पादन आज एक लाख करोड़ रुपये से अधिक हो चुका है और उत्तर प्रदेश तथा तमिलनाडु में रक्षा औद्योगिक गलियारे स्थापित करने जैसी पहलों से यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि आधुनिक सैन्य साजो-सामान भारत में निर्मित हो और मित्र देशों को निर्यात किया जा सके।

निर्यात की बढ़ती संभावना

भारत अब हथियार निर्यातक देशों की सूची में शामिल हो चुका है, जबकि पहले भारत एक प्रमुख आयातक देश था। रक्षा निर्यात का आंकड़ा 16,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है और सरकार की योजना है कि इसे 2028-29 तक 50,000 करोड़ रुपये तक बढ़ाया जाए। यह विकास भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता को मजबूत करता है और वैश्विक रक्षा बाजार में भारत की स्थिति को भी सुदृढ़ करता है। भारत सरकार को अपने रक्षा क्षेत्र पर लगातार ध्यान देना आवश्यक है, विशेष रूप से जब देश के इर्द-गिर्द सुरक्षा चुनौतियां बढ़ी हुई हैं। रक्षा बजट में प्रस्तावित वृद्धि और स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने की दिशा में उठाए गए कदम भारत की सुरक्षा और आत्मनिर्भरता की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान देंगे।

(लेखक वरिष्ठ संपादक, स्तंभकार और पूर्व सांसद हैं)

Views: 0
Tags:

About The Author

Saket Kumar Picture

साकेत कुमार, BJMC 

उप-सम्पादक

सोन वर्षा वाणी 

7766886433

Related Posts