देवघर: श्रावणी मेले के लिए बाबा नगरी तैयार, 11 जुलाई से होगी भव्य श्रावणी मेले की शुरुआत
देवघर। देवघर का बाबा बैद्यनाथ धाम एक बार फिर आस्था की अनूठी मिसाल बनने जा रहा है। जैसे ही सावन का महीना दस्तक देता है, बाबा धाम की गलियों में श्रद्धा की गूंज सुनाई देने लगती है। इस वर्ष 11 जुलाई से शुरू हो रहे भव्य श्रावणी मेले को लेकर जिला प्रशासन और मंदिर समिति ने तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया है। अनुमान है कि इस बार लाखों कांवरिए देवघर पहुंचेंगे और बाबा पर जलार्पण कर अपनी आस्था अर्पित करेंगे।
स्पर्श पूजन पर रोक, अरघा से जलार्पण की व्यवस्था
श्रावणी मेले की शुरुआत के साथ ही बाबा बैद्यनाथ के स्पर्श पूजन पर रोक लगा दी जाएगी। प्रशासन ने श्रद्धालुओं के लिए अरघा सिस्टम से जलार्पण की व्यवस्था सुनिश्चित की है ताकि भीड़ के प्रबंधन में आसानी रहे और भक्तों को दर्शन में ज्यादा देर तक कतारों में खड़ा न रहना पड़े। मंदिर के तीर्थ पुरोहित रवि पांडे का कहना है, “श्रावणी मेला देवघर की रौनक को चरम पर पहुंचा देता है। दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालुओं की थकान ‘ॐ नमः शिवाय’ के जाप में घुल जाती है। लेकिन व्यवस्था में थोड़ी सी भी कमी हो तो यह आस्था खिन्नता में बदल सकती है।”
भक्तों के लिए मुश्किलें अब भी कायम
रवि पांडे बताते हैं कि हर साल व्यवस्था में बदलाव की बातें होती हैं, लेकिन कुछ समस्याएं अब भी जस की तस बनी हुई हैं। खासकर बाबा मंदिर का पट कब बंद होगा, इसकी सटीक जानकारी अधिकतर श्रद्धालुओं को नहीं होती। “कई लोग पुरानी परंपराओं के मुताबिक मानते हैं कि मंदिर के पट शाम पांच बजे बंद हो जाएंगे। ऐसे में वे कतार में देर से लगते हैं और अगली सुबह पहुंचते हैं तो लाइन का आखिरी छोर कई किलोमीटर दूर होता है। थके हुए कांवरियों के लिए यह सफर बहुत कठिन हो जाता है,” उन्होंने बताया।
व्यवस्था के लिए सही जानकारी जरूरी
तीर्थ पुरोहित का कहना है कि देवघर आने वाले कांवरियों में से अधिकांश परंपरागत श्रद्धालु होते हैं। “यह कांवर यात्रा सिर्फ एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि कई परिवारों की पीढ़ियों से जुड़ा संस्कार है। इसलिए जरूरी है कि मंदिर प्रशासन मंदिर के पट बंद होने का समय, जलार्पण का समय और बाबा के श्रृंगार का पूरा विवरण पहले से प्रचारित करे। अगर सही और समय पर जानकारी होगी तो परंपरा भी सुरक्षित रहेगी और आस्था भी चोटिल नहीं होगी।”
भक्तों की यात्रा आस्था से जुड़े, अव्यवस्था से नहीं
रवि पांडे कहते हैं कि बाबा नगरी की असली पहचान उसकी परंपरा और धार्मिक पद्धतियों में है। “यहां हर उत्सव, व्रत और पर्व मंदिर के तिथियों और समय के हिसाब से ही मनाए जाते हैं। अगर सूचना व्यवस्था दुरुस्त हो, तो श्रद्धालुओं का अनुभव सुखद रहेगा और बाबा नगरी की प्रतिष्ठा और बढ़ेगी। हमें ऐसा वातावरण देना चाहिए कि कांवरियों की यात्रा आराधना से जुड़ी रहे, अव्यवस्था से नहीं। जिला प्रशासन ने भी आश्वस्त किया है कि इस बार श्रावणी मेले में सुरक्षा और सुविधाओं को लेकर कोई कोताही नहीं बरती जाएगी। साथ ही श्रद्धालुओं को जरूरी सूचनाएं डिजिटल बोर्ड, सोशल मीडिया और हेल्पलाइन के जरिए लगातार दी जाएंगी ताकि कोई भी असमंजस की स्थिति न रहे।
विश्व मंच पर और ऊंची होगी बाबा नगरी की पहचान
श्रावणी मेले के सफल आयोजन के लिए इस बार विशेष रणनीति बनाई गई है। मंदिर परिसर के भीतर और बाहर सीसीटीवी कैमरों की संख्या बढ़ाई गई है। जलार्पण कतारों को सुव्यवस्थित करने के लिए बैरिकेडिंग और पेयजल व्यवस्था बेहतर की जा रही है। स्थानीय लोग भी उम्मीद कर रहे हैं कि इस बार देवघर की पहचान न सिर्फ भारत, बल्कि दुनिया के धार्मिक पर्यटन मानचित्र पर और मजबूत होगी। बाबा नगरी में सावन की तैयारी पूरी है। अब बस घंटियों और “बोल बम” के नारों से गूंजने का इंतजार है।
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