सावन की दूसरी सोमवारी पर बाबा बैद्यनाथ की नगरी में आस्था का महा समागम, तीन लाख से अधिक श्रद्धालुओं के उमड़ने की संभावना
देवघर। सावन का महीना, शिवभक्ति का अनुपम पर्व, और सोमवार की सुबह — जब समूचा देवघर एक स्वर में “बोल बम” के उद्घोष से गूंज उठा। भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में एक, बाबा बैद्यनाथ धाम में आज श्रद्धा का ऐसा सैलाब उमड़ा है, जिसे शब्दों में बांध पाना कठिन है। सावन की दूसरी सोमवारी पर लाखों कांवड़िये उत्तरवाहिनी गंगा से जल लेकर 108 किलोमीटर की कठिन पैदल यात्रा पूरी कर बाबा की नगरी पहुंचे हैं। इन भक्तों के कदम थक सकते हैं, लेकिन भक्ति की अग्नि कभी मंद नहीं होती।
सोमवार तड़के 4:07 बजे, जैसे ही बाबा धाम का द्वार पारंपरिक वैदिक मंत्रोच्चार के बीच खुला, श्रद्धालुओं ने 'हर-हर महादेव' के गगनभेदी नारों के साथ जलार्पण की शुरुआत की। महज कुछ ही घंटों में मंदिर के बाहर श्रद्धालुओं की कतारें 10 किलोमीटर तक फैल गईं। अनुमान है कि आज दिनभर में तीन लाख से अधिक श्रद्धालु बाबा को जल अर्पित करेंगे। सुबह की पहली रोशनी के साथ ही कांवड़ियों की पंक्तियाँ नगर की हर गली, हर मोड़ और हर मंदिर द्वार को छूती नजर आईं।
आज का दिन सिर्फ सोमवारी नहीं, बल्कि कामदा एकादशी का भी पावन संयोग लेकर आया है, जिससे जलार्पण का पुण्यफल और अधिक महिमामंडित हो गया है। बाबा धाम के तीर्थ पुरोहित लंबोहर परिहस्त बताते हैं कि धार्मिक मान्यता के अनुसार स्वयं भगवान विष्णु ने भी इस तिथि पर बाबा बैद्यनाथ पर जल चढ़ाकर समस्त संसार के कल्याण की प्रार्थना की थी। यही कारण है कि आज के दिन जल चढ़ाना विशेष पुण्यफलदायक माना जाता है — न केवल अपने लिए, बल्कि पूरे जगत के कल्याण हेतु।
देवघर प्रशासन भी इस विराट श्रद्धालु सैलाब को संभालने के लिए पूरी तरह से सतर्क है। उपायुक्त नमन प्रियेश लकड़ा ने सोमवार सुबह स्वयं कंट्रोल रूम का दौरा किया और तमाम विभागों को चौकस रहने का निर्देश दिया। इस बार खास व्यवस्था के तहत वीआईपी और वीवीआईपी दर्शन पर रोक लगाई गई है, जिससे आम श्रद्धालु को बिना किसी व्यवधान के बाबा का दर्शन और जलार्पण सुलभ हो सके। स्पर्श दर्शन और आउट ऑफ टर्न दर्शन को भी पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया है। जलार्पण की पूरी प्रक्रिया अरघा के माध्यम से सुनिश्चित की जा रही है, जिससे सुरक्षा के साथ-साथ श्रद्धा की गरिमा भी बनी रहे।
शाम ढलते-ढलते मंदिर प्रांगण में एक और अद्भुत दृश्य रचने वाला है। रात 10 बजे विशेष बेलपत्र पूजा आयोजित की जाएगी, जिसमें मंदिर के आचार्यगण बाबा का रुद्राभिषेक करेंगे। श्रद्धा और साधना के इस संगम में बेलपत्र, गंगाजल और महामृत्युंजय मंत्र की त्रिवेणी, बाबा की कृपा को आकर्षित करने का माध्यम बनेगी।
बाबा बैद्यनाथ के इस धाम के बारे में मान्यता है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद अवश्य पूरी होती है। यही कारण है कि देश के कोने-कोने से, अमीर-गरीब, नर-नारी, वृद्ध-जवान सभी इस पवित्र भूमि पर नंगे पांव, रक्तरंजित एड़ियों के साथ केवल एक आस लेकर पहुंचते हैं — “बाबा, सुन लो हमारी”।
आज देवघर आस्था का ध्रुव केंद्र बन चुका है, जहां हर कदम पर भक्ति है, हर साँस में विश्वास है और हर चेहरा बाबा की कृपा से उजास लिए है। सावन की यह दूसरी सोमवारी, केवल एक तिथि नहीं, बल्कि करोड़ों लोगों के मन की आस्था का उत्सव बन चुकी है।
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