बिहार के सरकारी अस्पतालों में चिकित्सा सेवाएं ठप: हड़ताल के चलते मरीजों की जान पर बन आई, सैकड़ों ऑपरेशन टले
पटना। बिहार के सरकारी अस्पतालों में चिकित्सा सेवाओं के ठप हो जाने से मरीजों और उनके परिजनों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कोलकाता में एक ट्रेनी डॉक्टर से रेप और हत्या की घटना के विरोध में भारतीय चिकित्सा संघ (IMA) के आह्वान पर देशभर में डॉक्टरों ने हड़ताल की है। इस हड़ताल का व्यापक असर बिहार में भी देखने को मिल रहा है, जहां मरीज बिना इलाज के लौटने को मजबूर हैं। पटना के प्रमुख सरकारी अस्पतालों जैसे PMCH, AIIMS, IGIMS, और NMCH में शनिवार सुबह से ही OPD सेवाएं पूरी तरह से बंद हैं। मरीज और उनके परिजन अस्पताल के रजिस्ट्रेशन काउंटर पर लंबी कतारों में खड़े नजर आए, लेकिन विंडो नहीं खुली। कई अस्पतालों में इमरजेंसी सेवाएं भी बंद कर दी गई हैं, जिससे मरीजों की परेशानी और बढ़ गई है।
हजारों मरीज बिना इलाज लौटे
शुक्रवार को पटना के सरकारी अस्पतालों की OPD में करीब 15,000 मरीज इलाज के लिए आए थे, लेकिन हड़ताल के चलते उन्हें बिना इलाज के ही लौटना पड़ा। इन मरीजों में गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोग भी शामिल थे, जिन्हें तत्काल चिकित्सा की जरूरत थी। इसके अलावा, पटना के PMCH, AIIMS, IGIMS, और NMCH में होने वाले 154 से अधिक ऑपरेशनों को भी टाल दिया गया, जिससे मरीजों और उनके परिजनों में आक्रोश है।
बिहार के अन्य जिलों में भी संकट
पटना के अलावा, बेगूसराय सदर अस्पताल और मुजफ्फरपुर के SKMCH में भी हड़ताल का असर साफ दिखाई दे रहा है। बेगूसराय में OPD के सभी विभाग बंद हैं, और यहां रजिस्ट्रेशन भी नहीं हो रहा है। मुजफ्फरपुर में भी डॉक्टरों की हड़ताल के चलते मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अस्पतालों के बाहर मरीजों की लंबी कतारें और उनके चेहरों पर चिंता की लकीरें इस गंभीर स्थिति का प्रतीक हैं। IMA के साथ-साथ जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन (JDA) और Federation of Resident Doctors Association (FORDA) भी इस हड़ताल में शामिल हैं। पटना AIIMS के डॉक्टर केंद्र सरकार से सेंट्रल प्रोटेक्शन एक्ट की मांग कर रहे हैं, ताकि डॉक्टरों को सुरक्षा का भरोसा मिल सके। डॉक्टरों का कहना है कि उन्हें अपने काम के दौरान सुरक्षा की कमी महसूस होती है, और कोलकाता की घटना ने इस मुद्दे को और भी गंभीर बना दिया है। बिहार में स्वास्थ्य सेवाओं के ठप होने पर राज्य सरकार ने स्थिति का जायजा लिया है। हालांकि, सरकार की ओर से अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है, जिससे मरीजों और उनके परिजनों की समस्याएं बरकरार हैं। अस्पतालों में डॉक्टरों की अनुपस्थिति के कारण स्थिति और भी विकट होती जा रही है, और मरीजों को उनके जीवन के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।
अस्पतालों में इलाज के लिए आए मरीजों का दर्द
अस्पतालों में इलाज के लिए आए मरीजों और उनके परिजनों का कहना है कि वे कई दिनों से डॉक्टरों के इंतजार में थे, लेकिन आज अस्पताल पहुंचने पर उन्हें निराशा ही हाथ लगी। एक मरीज के परिजन ने बताया, "हमने उम्मीद की थी कि आज डॉक्टर हमारा इलाज करेंगे, लेकिन यहां आकर पता चला कि हड़ताल है। अब हम कहां जाएं? हमारे पास पैसे नहीं हैं कि हम निजी अस्पताल में इलाज करवा सकें। बिहार के सरकारी अस्पतालों में जारी इस हड़ताल ने हजारों मरीजों की जान को खतरे में डाल दिया है। चिकित्सा सेवाओं के ठप होने से मरीज और उनके परिजन असहाय हो गए हैं। इस स्थिति में सरकार और डॉक्टरों के बीच वार्ता और समाधान की आवश्यकता है, ताकि जल्द से जल्द चिकित्सा सेवाएं बहाल हो सकें और मरीजों को राहत मिल सके।
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