बिहार में 135 साल बाद विशेष भूमि सर्वेक्षण: 445 अंचलों में शुरू, नवंबर 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य
पटना। बिहार में 135 साल बाद विशेष भूमि सर्वेक्षण की ऐतिहासिक प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इस सर्वेक्षण का उद्देश्य राज्य की भूमि व्यवस्था में पारदर्शिता लाना और जमीन से जुड़े विवादों को समाप्त करना है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में यह सर्वेक्षण राज्य के 38 जिलों के 445 ब्लॉक में चल रहा है, जिसे नवंबर 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। बिहार में भूमि सर्वेक्षण का यह विशेष प्रयास इतिहास में महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि इससे पहले ऐसा सर्वेक्षण 1890 में शुरू हुआ था, लेकिन यह सौ साल में भी पूरा नहीं हो सका। वर्तमान सर्वेक्षण का मुख्य उद्देश्य जमीन से जुड़े स्वामित्व विवादों का स्थायी समाधान निकालना है। भूमि एवं राजस्व विभाग के मंत्री दिलीप जायसवाल ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस सर्वेक्षण को समय पर पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, और इसके लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं।
सर्वेक्षण प्रक्रिया: ग्राम सभा से लेकर ऑनलाइन दस्तावेज तक
इस विशेष सर्वेक्षण के तहत, प्रारंभिक चरण में सभी ग्राम सभाओं का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें सरकारी अधिकारी और कर्मचारी स्थानीय निवासियों को सर्वे के महत्व और प्रक्रिया के बारे में जानकारी दे रहे हैं। लोगों को बताया जा रहा है कि सर्वेक्षण में अपनी जमीन के दावे के लिए कौन-कौन से दस्तावेज आवश्यक होंगे। ग्राम सभा के दौरान खतियान का सारांश भी लिखा जा रहा है, जिससे भूमि का रिकॉर्ड स्पष्ट और सटीक हो सके।
सर्वेक्षण में आ रही चुनौतियाँ और समाधान
सर्वेक्षण के पहले चरण में 20 जिलों के 89 अंचलों में काम चल रहा था, जो अब लगभग पूरा हो चुका है। शेष 445 अंचलों में अमीन, कानूनगो, और सहायक बंदोबस्त पदाधिकारियों की कमी के कारण सर्वेक्षण ठप पड़ गया था। इस समस्या को दूर करने के लिए राज्य सरकार ने करीब 10 हजार संविदाकर्मियों की भर्ती की है, जिन्हें प्रशिक्षण देने के बाद भूमि सर्वेक्षण में तैनात कर दिया गया है। इससे पहले, भूमि से जुड़े सभी दस्तावेजों को डिजिटाइज्ड किया जा चुका है, जिससे लोगों को अपनी जमीन के रिकॉर्ड को ऑनलाइन देखने की सुविधा मिली है। जमाबंदियों में सुधार की प्रक्रिया भी तेजी से चल रही है, और दावा किया गया है कि सर्वेक्षण पूरा होने के बाद जमीन का पूरा विवरण ऑनलाइन उपलब्ध होगा।
सर्वेक्षण के बाद क्या बदलेगा?
राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री डॉ. दिलीप जायसवाल ने भरोसा दिलाया है कि इस विशेष भूमि सर्वेक्षण के पूरा होने के बाद राज्य में जमीन से जुड़े स्वामित्व विवाद पूरी तरह से समाप्त हो जाएंगे। इसके साथ ही, जमीन विवाद के कारण उत्पन्न होने वाली कानून व्यवस्था की समस्याएं भी समाप्त हो जाएंगी। यह सर्वेक्षण बिहार के भूमि इतिहास में एक नए युग की शुरुआत करेगा, जहां पारदर्शिता और न्याय की दिशा में बड़ा कदम उठाया जा रहा है।
समाप्ति की दिशा में बढ़ते कदम
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में चल रहा यह विशेष भूमि सर्वेक्षण न केवल एक प्रशासनिक प्रक्रिया है, बल्कि यह राज्य के विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। इसके जरिए न केवल भूमि विवादों का समाधान होगा, बल्कि राज्य की कानून व्यवस्था में भी सुधार आएगा। इस सर्वेक्षण से भविष्य में भूमि प्रबंधन में पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की उम्मीद की जा रही है।
About The Author
